Rajasthan History : आमेर के कछवाहा | Aamer Ke Kachhawaaha

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Rajasthan History : आमेर के कछवाहा | Aamer Ke Kachhawaaha : इस भाग में आपको आमेर के कछवाहा वंश के बारे में, राजा भारमल और राजा भगवंतदास के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी मिलेगी |


आमेर के कछवाहा –

  • कछवाहा राजपूत स्वयं को भगवान रामचन्द्र के पुत्र कुश का वंशज बताते हैं।
  • इनके प्राचीन इतिहास के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
  • इस वंश के नरवर के शासक सोढा सिंह के पुत्र दुलहराय ने सन् 1137 के लगभग रामगढ़ (ढूंढाड़) में मीणों को तथा बाद में दौसा के बड़गूजरों को हराकर कछवाहा वंश का राज्य स्थापित किया।
  • रामगढ़ में अपनी कुलदेवी जमुवाय माता का मंदिर बनाया।
  • इन्हीं के पौत्र काकिल देव ने सन् 1207 में आमेर के मीणाओं को परास्त कर आमेर को अपने राज्य में मिला लिया।
  • आमेर को अपनी राजधानी बनाया।
  • तब से लेकर आमेर कछवाहों की राजधानी जयपुर निर्माण तक बना रहा।
  • इसी वंश का शासक पृथ्वीराज मेवाड़ के महाराणा सांगा का सामन्त था।
  • शासक पृथ्वीराज खानवा के युद्ध में सांगा की तरफ से लड़ा था।
  • पृथ्वीराज गलता के रामानुज सम्प्रदाय के संत कृष्णदास पयहारी के अनुयायी थे।
  • शासक पृथ्वीराज के पुत्र सांगा ने सांगानेर कस्बा बसाया

राजा भारमल (Aamer Ke Kachhawaaha) –

  • सांगा के भाई भारमल ने 1547 ई. में आमेर की गद्दी पर कब्जा कर लिया।
  • भारमल ने जनवरी, 1562 ई. में मुगल सम्राट अकबर से उसकी अजमेर यात्रा के दौरान चगताई खाँ की मदद से सांगानेर के निकट मुलाकात कर अकबर की अधीनता स्वीकार की।
  • राजा भारमल ने बाद में सांभर में जाकर अपनी पुत्री की शादी अकबर के साथ कर वैवाहिक संबंधों के माध्यम से मुगलों के साथ सहयोग की नीति का शुभारम्भ किया।
  • भारमल की पुत्री बेगम मरियम उज्जमानी नाम से जानी जाती थी।
  • भारमली/हरखाबाई ने बाद में सलीम (जहाँगीर) को जन्म दिया।
  • भारमल राजपूताना के पहले शासक थे, जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार कर उससे अपनी बेटी की शादी कर दी थी।
  • इसके पश्चात भारमल के पुत्र भगवन्तदास एवं पोता मानसिंह अकबर की सेवा में चले गये।
  • भारमल की इस नीति का अनुसरण परवर्ती शासकों ने भी किया

राजा भगवन्तदास (Aamer Ke Kachhawaaha) –

  • राजा भारमल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र भगवन्तदास आमेर के सिंहासन पर बैठे।
  • इन्होंने भी अपनी पुत्री का विवाह शहजादा सलीम के साथ कर दिया।
  • अकबर बिना युद्ध के महाराणा प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था।
  • इसलिए अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार राजदूत नियुक्त किए जिसमें से भगवन्तदास भी एक थे।
  • मुगल दरबार में भगवन्तदास को ऊँचा मनसब ( पांच हजारी ) प्राप्त था।
  • ये बाँके राजा के नाम से प्रसिद्ध थे व उनके वंशज बाँकावत कछवाहा कहलाते हैं।
  • 1589 ई. में इनकी लाहौर में मौत हो गई।

FAQ :

1. कछवाहा राजवंश का संस्थापक कौन था?

ANS. नरवर के शासक सोढा सिंह के पुत्र दुलहराय ने सन् 1137 के लगभग रामगढ़ (ढूंढाड़) में मीणों को तथा बाद में दौसा के बड़गूजरों को हराकर कछवाहा वंश का राज्य स्थापित किया।

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2. कछवाहा वंश की कौन सी राजधानी थी?

ANS. कछवाहा वंश की आमेर राजधानी थी

3. आमेर के कछवाहा वंश की कुलदेवी कौन है?

ANS. इनकी कुलदेवी जमुवाय माता है |

4. भारमल की पुत्री भारमली/हरखबाई किस नाम से प्रसिद्ध हुयी?

ANS. भारमल की पुत्री बेगम मरियम उज्जमानी नाम से जानी जाती थी।

5. राजा भगवन्तदास किस नाम से प्रसिद्ध हुए?

ANS. ये बाँके राजा के नाम से प्रसिद्ध थे व उनके वंशज बाँकावत कछवाहा कहलाते हैं।

6. राजा भगवंतदास के वंशज किस नाम से जाने जाते है?

ANS. ये बाँके राजा के नाम से प्रसिद्ध थे व उनके वंशज बाँकावत कछवाहा कहलाते हैं।

7. भारमली/हरखाबाई के पुत्र का नाम क्या था?

ANS. भारमली/हरखाबाई ने बाद में सलीम (जहाँगीर) को जन्म दिया।

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