अधिगम के प्रकार : गैने का अधिगम वर्गीकरण | Kinds Of Learning

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अधिगम के प्रकार : गैने का अधिगम वर्गीकरण | Kinds Of Learning : – इस भाग में आपको Adhigam Ke Prakaar के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। यहाँ गैने द्वारा किया गया अधिगम के वर्गीकरण का विस्तारित वर्णन किया गया है। गैने द्वारा अधिगम के आठ प्रकार बताये गए जिनका वर्णन आगे के भाग में है।


गैने का अधिगम वर्गीकरण ( Adhigam Ke Prakaar )

  • ‘आर. एम. गैने’ (R.M. Gagne) नामक मनोवैज्ञानिक ने अधिगम की प्रकृति को समझने के लिए अपनी पुस्तक ‘दी कंडिशन्स ऑफ लर्निंग’ में अधिगम के आठ प्रकार बताये है।
  • गैने ने अधिगम को आठ वर्गों में वर्गीकृत करते हुए उन्हें एक ‘सोपानिकी’ (Hierachy) के रूप में प्रस्तुत किया है।
  • गैने द्वारा किये गए अधिगम के आठ प्रकार निम्न है –

संकेत अधिगम

  • संकेत अधिगम के प्रतिपादक टॉलमैन है।
  • इस प्रकार का अधिगम वस्तुत: ‘पावलाव’ के क्लासिकल अनुबंधन के अनुरूप होता है।
  • संकेत अधिगम को ‘क्लासिकल अनुबंधन’ भी कहा जाता है।
  • इसमें प्राकृतिक उद्दीपक की अनुक्रिया के साथ कोई अन्य उद्दीपक अनुकूलित हो जाता है तथा उसे अनुकूलित उद्दीपक के प्रस्तुत करने पर प्राणी प्राकृतिक उद्दीपक की अनुक्रिया प्रस्तुत करना सीख लेता है।
  • प्राणी एक संकेत के प्रति प्रतिक्रियाएँ करना सीखता है, इसमें अनुक्रिया का उत्तेजना से संबंध जोड़ा जाता है।
  • अधिगम के इस प्रकार के यांत्रिक ढंग से आदतों का निर्माण किया जाता है।

उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम

  • इस अधिगम को ‘एस.आर. अधिगम अथवा संबंधन का सिद्धांत’ भी कहते है।
  • उद्दीपक-अनुक्रिया के बीच बंधन दृढ़ हो जाने पर प्राणी किसी उद्दीपक को प्रस्तुत करने पर अनुबन्धित अनुक्रिया देना सीख लेता है।
  • यह सिद्धांत थॉर्नडाइक के प्रयास व भूल के सिद्धांत पर आधारित है।
  • इसके माध्यम से छोटे बच्चों को शब्द उच्चारण करना सीखाया जाता है अर्थात् अभ्यास द्वारा सीखने पर जोर दिया जाता है।

शृंखला अधिगम

  • शृंखला अधिगम को ‘क्रमिक अधिगम’ भी कहते हैं।
  • यह अधिगम मुख्यतः दो या इससे अधिक व्यक्तियों के बीच में होता है।
  • जैसे– सम्पूर्ण परिवार के सदस्य या विद्यालय के छात्रगण या विभिन्न विचारशाला या कार्य गोष्ठी के आधार पर
  • इसमे दो या इससे अधिक उद्दीपक एक साथ जोड़ने पर जो प्रतिक्रिया होती है एवं एक श्रृंखला बन जाती है।
  • उदाहरण : –
    • कोई आ.ए.एस. अधिकारी व्यक्ति है तो उसका ध्यान अपनी प्रतिष्ठा पर एवं उससे अधिक और प्राप्त करना चाहता है एवं स्वयं का कोई उद्योग चला रहा है उसकी तरफ भी अपना ध्यान देता है

शाब्दिक अधिगम

  • यह अधिगम व्यक्ति के द्वारा जब कोई कार्य किया जाता है।
  • तब वहाँ संकेत के अलावा विभिन्न शब्दों का प्रयोग होता है और वही शब्द एक श्रृंखला से दूसरी श्रृंखला में आगे बढ़ते जाते है।
  • इस प्रकार के अधिगम से तात्पर्य शाब्दिक व्यवहार (Verbal Behaviour) में परिवर्तन लाने से है।
  • व्यक्तियों द्वारा बोले जाने वाले ‘शब्द तथा वार्तालाप’ वस्तुतः शाब्दिक अधिगम का ही परिणाम होते हैं।
  • पाठ्यवस्तु का रटन स्मरण भी इस प्रकार के अधिगम का ही एक रूप है।
  • शाब्दिक अधिगम की प्रक्रिया में अक्षरों, शब्दों, चिह्नों, आवाजों आदि को सार्थक ढंग से समझने तथा प्रस्तुत करने की क्रिया निहित रहती है।
  • उदाहरण-
    • नेता के द्वारा दिया गया भाषण किसी एक गाँव के लोगों द्वारा अन्य गाँव में बताना भी शाब्दि अधिगम कहलाता है।
    • किसी महापुरुष के द्वारा सुनी गयी कथा का अन्य लोगों को सुनाना आदि।

बहुविभेदन अधिगम

  • इसमें शाब्दिक या अशाब्दिक अधिगम के विभिन्न पक्षों में भेद करके पहचानना एवं विभिन्न समूहों में सीखना एक बहु-विभेद अधिगम कहलाता है।
  • इस दृष्टि से बहुविभेदक अधिगम को कुछ हद तक ‘गेस्टाल्ट अधिगम’ के समकक्ष स्वीकार किया जा सकता है।
  • जैसे-
    • बालकों द्वारा त्रिभुज एवं चतुर्भुज में अंतर करना,
    • बीजगणित एवं अंकगणित में अंतर करना आदि।

प्रत्यय अधिगम

  • जब एक जैसे उद्दीपक बार-बार आते है तो प्राणी उनके प्रति हर बार एक जैसी प्रतिक्रिया करने लगता है।
  • यह प्रत्यय निर्माण कहलाता है।
  • जैसे- Adhigam Ke Prakaar
    • पानी पीना, खाना खाना प्रत्यय निर्माण के बाद ही व्यक्ति विभेदीकृत अधिगम कर सकता है।
  • पाइन व टेंडलर (1964) ने प्रत्यय निर्माण अधिगम को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी माना।

नियम अधिगम ( Adhigam Ke Prakaar )

  • दो या अधिक विचारों के बीच संबंध को सीखना नियम अधिगम है।
  • इस प्रकार के अधिगम के बाद व्यक्ति विभिन्न तथ्यों के संबंध में नियमों का विकास करता है।
  • तथ्यों को सीख लेता है उसे नियम अधिगम कहा जाता है।

समस्या समाधान अधिगम (Adhigam Ke Prakaar )

  • इसमें शिक्षक केवल निर्देशन का कार्य करते है एवं समस्या को सुलझाने का पूरा कार्य छात्र का होता है।
  • इस अधिगम से पहले नियम अधिगम का होना जरूरी है
  • वर्तमान समय में यह अधिगम बहुत महत्वपूर्ण है।
  • गैने के अनुसार इस प्रकार का अधिगम तब होता है जब व्यक्ति चिंतन करने लगता है तथा उच्च स्तरीय नियमों की समीक्षा करने लगता है।

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