Rajasthan History : Kota Ka Itihaas | कोटा का इतिहास

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Rajasthan History : Kota Ka Itihaas | कोटा का इतिहास – इस भाग में आपको Kota Ka Itihaas तथा यहाँ के शासक झाला जालिमसिंह के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी |


कोटा का इतिहास (Kota Ka Itihaas) –

  • कोटा प्रारंभ में बूंदी रियासत का ही एक भाग था।
  • यहाँ हाड़ा चौहानों का शासन था।
  • शाहजहाँ के समय 1631 ई. में बूंदी नरेश राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को कोटा का पृथक राज्य देकर उसे बूंदी से स्वतंत्र कर दिया।
  • तभी से कोटा स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
  • कोटा पूर्व मे कोटिया भील के नियंत्रण में था, जिसे बूंदी के चौहान वंश के संस्थापक देवा के पौत्र जैत्रसिंह ने मारकर अपने अधिकार में कर लिया।
  • कोटिया भील के कारण इसका नाम कोटा पड़ा।
  • माधोसिंह के बाद उसका पुत्र यहाँ का शासक बना जो औरंगजेब के विरुद्ध धरमत के उत्तराधिकार युद्ध में मारा गया।

झाला जालिमसिंह –

  • कोटा का मुख्य प्रशासक एवं फौजदार था।
  • वह बड़ा कूटनीतिज्ञ एवं कुशल प्रशासक था।
  • मराठों, अंग्रेजों एवं पिंडारियों से अच्छे संबंध होने के कारण कोटा इनसे बचा रहा।
  • दिसम्बर, 1817 ई. में यहाँ के फौजदार जालिमसिंह झाला ने कोटा राज्य की ओर से ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि कर ली।
  • रामसिंह के समय सन् 1838 ई. में महारावल झाला मदनसिंह जो कि कोटा का दीवान एवं फौजदार था तथा झाला जालिमसिंह का पौत्र था, को कोटा से अलग कर ‘झालावाड़‘ का स्वतंत्र राज्य दे दिया गया।
  • इस प्रकार 1838 ई. में झालावाड़ एक स्वतंत्र रियासत बनी।
  • यह राजस्थान में अंग्रेजों द्वारा बनायी गई आखिरी रियासत थी।
  • इसकी राजधानी झालरापाटन बनाई गई।

FAQ (Kota Ka Itihaas) :

1. कोटा नाम कैसे पड़ा?

ANS. कोटिया भील के कारण |

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2. झाला जालिम सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि कब की थी ?

ANS. दिसम्बर,1817 ई. में |

3. झालावाड स्वतंत्र रियासत कब बना?

ANS. 1838 में |

4. अंग्रेजो द्वारा बनी गई आखरी रियासत कौनसी थी ?

ANS. झालावाड अंग्रेजों द्वारा बनाई गयी आखरी रियासत थी |

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