Rajasthan History : महाराणा राजसिंह | Maharana Rajsingh

Share with friends

Rajasthan History : महाराणा राजसिंह | Maharana Rajsingh – इस भाग में Maharana Rajsingh, महाराणा जयसिंह, महाराणा अमरसिंह-द्वितीय, संग्रामसिंह, जगतसिंह-द्वितीय और महाराणा भीमसिंह के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी |


महाराणा राजसिंह ( Maharana Rajsingh ) –

  • महाराणा जगतसिंह के पुत्र राजसिंह का राजयाभिषेक 10 अक्तूबर, 1652 को हुआ |
  • राजसिंह रणकुशल, साहसी, वीर, निर्भीक,सच्चे क्षत्रिय, बुद्धिमान, धर्मनिष्ट और दानी राजा थे |
  • इन्होने महाराणा जगतसिंह द्वारा प्रारम्भ की गई चित्तोड़ के किले की मरम्मत को पूर्ण किया |
  • राजसिंह ने ओरंगजेब के 2 अप्रेल, 1679 को हिन्दुओं पर जजिया लगाने, मूर्तियाँ तुडवाने आदि का प्रबल विरोध किया |
  • बादशाह से सम्बन्ध की गई चारुमती ( किशनगढ़ के राजा रूपसिंह की पुत्री ) से उसकी इच्छानुसार धर्म की रक्षा के लिए |
  • उन्होंने ओरंगजेब के विरुद्ध जाकर निर्भयता के साथ सन् 1660 में विवाह कर लिया |
  • जोधपुर के अजीतसिंह को अपने यहाँ आश्रय दिया और जजिया कर देना स्वीकार नहीं किया |
  • कांकरोली में द्वारकाधीश की मूर्ति तथा सिहाड़ ( नाथद्वारा ) में 1672 ई. में श्रीनाथ जी ( विट्ठलनाथ ) की मूर्ति प्रतिष्ठित करा कर उन्होंने अपनी धर्मनिष्ठा का परिचय दिया |
  • किसी के विष दिए जाने के कारण महाराणा का देहांत हो गया |
  • यदि महाराणा का देहांत बीच में न होता तो सम्भव था की मेवाड़ और मारवाड़ के सम्मिलित सैन्य द्वारा बादशाह पूर्णरूप से पराजित होता |
  • महाराणा राजसिंह ने 1664 ई. में उदयपुर में अम्बा माता का एंव कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर बनवाया |
  • इन्होने उदयपुर से पश्चिम में बड़ी गाँव के पास जनासागर तालाब बनवाया |
  • उन्होंने गोमती नदी के पानी को रोक कर राजसमन्द झील का निर्माण करवाया |
  • जनवरी, 1662 को इसकी नींव की खुदाई प्रारम्भ हुई एंव 1676 ई. में इसकी प्रतिष्ठा की गई |
  • इसमें गोमती, ताल और केलवा नदी का पानी आता है |
  • इस झील की नौचौकी पाल पर ताकों में 25 बड़ी-बड़ी शिलाओं पर 25 सर्गों का राज प्रशस्ति महाकाव्य खुदा हुआ है |
  • यह भारत में सबसे बड़ा शिलालेख और शिलाओं पर खुदा सबसे बड़ा ग्रंथ है |
  • इसकी रचना रणछोड़ भट्ट तैलंग ने की थी |
  • उन्होंने राजसमन्द झील के पास राजनगर ( वर्तमान में राजसमन्द ) नामक कस्बा आबाद कराया |

महाराणा जयसिंह –

  • महाराणा राजसिंह के बाद उनके पुत्र जयसिंह का राज्याभिषेक कुरज गाँव में हुआ |
  • इन्होने 1687 ई. में गोमती, झामरी, रुपारेल एंव बगार नामक नदियों के पानी को रोककर ढेबर नामक नाके पर संगमरमर की जयसमंद झील बनवाना प्रारम्भ करवाया |
  • जयसमन्द झील 1691 ई. में बनकर तैयार हुई |
  • इसे ढेबर झील भी कहते है |
    • इस झील में दो बड़े टापू है, जिन्हें ‘बाबा का भांगरा’ एंव ‘पाईरी’ कहते है |
    • यहाँ मीणा लोग रहते है |
  • महाराणा जयसिंह शांतिप्रिय, दानी, धर्मनिष्ठ और उदार था |
  • ये भी कुछ समय तक ओरंगजेब से लड़ा, किन्तु अंत में उन्होंने संधि कर ली |

महाराणा अमरसिंह-द्वितीय (Maharana Rajsingh ) –

  • महाराणा जयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अमरसिंह -द्वितीय मेवाड़ के सिंहासन पर बैठे |
  • इन्होने बागड़ और प्रतापगढ़ को पुन: अपने अधीन किया |
  • जोधपुर व आमेर को मुगलों से मुक्त करवा कर क्रमश: अजीतसिंह एंव और सवाई जयसिंह को वापस वंहा का शासक बनाने में सहायता की |
  • इन्होने मेवाड़, मारवाड़ एंव आमेर में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर तीनों के शक्तियों को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास किया |
  • अपनी पुत्री का विवाह जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह के साथ किया |
  • मुग़ल बादशाह ओरंगजेब का भी इनके द्वारा समय-समय पर विरोध किया गया |
  • इन्होने रियासत के प्रबंध एंव जागीरदारों व सामंतों के नियमादि बनाकर राज्य का नियंत्रण व प्रबंध सुदृढ़ किया |

संग्राम सिंह-द्वितीय –

  • महाराणा अमरसिंह द्वितीय के बाद इनके पुत्र संग्रामसिंह द्वितीय 1701 ई. में मेवाड़ के शासक बने |
  • इनका देहांत 1734 ई. में हो गया था |
  • इन्होने मराठों के विरुद्ध रजस्थान के राजपूत नरेशों को संगठित करने के लिए हुरडा सम्मलेन आयोजित करवाने की योजना बनाई थी परन्तु इस से पूर्व ही इनका देहांत हो गया |
  • इनके द्वारा उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी, सीसारमा गाँव में वैद्यनाथ का विशाल मंदिर आदि बनवाये गए एंव वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति लिखवाई गई |

जगतसिंह-द्वितीय ( Maharana Rajsingh ) –

  • महाराणा संग्रामसिंह की मृत्यु की बाद जगतसिंह द्वितीय ने 1734 ई. में मेवाड़ के शासक बने |
  • इनके समय अफगान आक्रमणकारी नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर उसे लुटा |
  • मराठों ने इन्ही के शासन में मेवाड़ में पहली बार प्रवेश कर इनसे कर वसूल किया |
  • जगतसिंह-द्वितीय ने पिछोला झील में जगतनिवास महल बनवाया |
  • इनके द्वारा दरबारी कवि नेकराम ने ‘जगतविलास’ ग्रन्थ लिखा |
  • इन्होने मराठों के विरुद्ध राजस्थान के राजाओं को संगठित करने के उद्देश्य से 17 जुलाई, 1734 ई. को हुरडा नामक स्थान पर राजाओं का सम्मलेन आयोजित कर एक शक्क्तिशाली मराठा विरोधी मंच बनाया लेकिन यह मंच बाद में निजी स्वार्थों के कारण असफल हो गया |

महाराणा भीमसिंह ( Maharana Rajsingh ) –

  • भीमसिंह 1778 ई. में मेवाड़ की गद्दी पर बैठे |
  • इनकी लड़की कृष्णाकुमारी के विवाह को लेकर जयपुर और जोधपुर में संघर्ष हुआ |
  • ये संघर्ष कृष्णाकुमारी विवाद के नाम से जाना जाता है |
  • भीमसिंह ने अपनी पुत्री का रिश्ता जोधपुर के नरेश भीमसिंह के साथ तय किया था |
  • परन्तु विवाह से पूर्व ही जोधपुर नरेश की मृत्यु हो जाने के कारण उन्हने कृष्णा कुमारी का रिश्ता जयपुर के नरेश जगतसिंह से तय कर दिया |
  • इस पर मारवाड़ के शासक मानसिंह ने एतराज किया एंव कहा की उसका रिश्ता जोधपुर तय हुआ था |
  • अत : विवाह भी उनसे ( मानसिंह ) से ही होना चाहिए |
  • फलस्वरूप जयपुर ने आमिर खान पिंडारी की सहायता से मार्च 1807 में गिन्गोली नामक स्थान पर जोधपुर की सेना को हराया तथा फिर जयपुर की सेना ने जोधपुर पर आक्रमण कर दिया |
  • अंतत: आमिर खां पिंडारी और अजित सिंह चुण्डावत की सलाह पर 21 जुलाई, 1810 ई. को कृष्णाकुमारी को जहर देकर इस विवाद को समाप्त कर दिया गया |
  • 1818 ई. में महाराणा भीमसिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से अधीनस्थ सहयोग संधि कर ली |
  • इस प्रकार मेवाड़ एक विदेशी शक्ति की दासता का शिकार हो गया |

FAQ :

1. कृष्णाकुमारी विवाद किन किन के बीच हुआ था ?

ANS. जोधपुर के नरेश मानसिंह और जयपुर के जगतसिंह के बीच हुआ था |

WhatsApp Channel Join Now

Telegram Group Join Now

2. ईस्ट इंडिया कम्पनी से सबसे पहले किस ने और कब संधि की थी ?

ANS. ईस्ट इंडिया कम्पनी से 1818 ई, में मेवाड़ के भीमसिंह ने संधि कर ली |

3. सहेलियों की बाड़ी किसने और कहाँ पर बनाई ?

ANS. संग्रामसिंह-द्वितिय ने उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी का निर्माण करवाया था |

4. राज प्रशस्ति की रचना किसने की थी ?

ANS. राज प्रशस्ति की रचना रणछोड़ भट्ट तैलंग ने की थी |

5. राजसमन्द झील का निर्माण किसने करवाया ?

ANS. राजसमन्द झील का निर्माण महाराणा राजसिंह ने करवाया था |

6. राजसमन्द झील का निर्माण किस नदी के पानी को रोक कर किया गया है ?

ANS. राजसमन्द झील का निर्माण गोमती नदी के पानी को रोक कर किया गया था | इसमें ताल ओअर केलवा नदी का पानी भी आता है |

Read Also :

Leave a Comment