राजस्थान संस्कृति | राजस्थान चित्रकला का उद्भव और विकास

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राजस्थान संस्कृति | राजस्थान चित्रकला का उद्भव और विकास : – इसमें आपको Rajasthan Culture से सम्बंधित अध्याय Rajasthan Chitrakala Ka Udbhav Or Vikas के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। इस में आपको शेलाश्र्यो, चित्रित ग्रंथों, चित्रित गुफाओं और शैलियों के बारे जानकारी मिलेगी। राजस्थान की संस्कृति में कब और कैसे चित्रकला का उद्भव हुआ और उसका विकास किस प्रकार से हुआ इस प्रकार की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी।


चित्रकला का उद्भव ( Rajasthan Chitrakala Ka Udbhav Or Vikas )

  • राजस्थान में आलनिया दर्रा (कोटा), बैराठ (जयपुर) तथा दर (भरतपुर) नामक स्थानों से शैलाश्रयों में आदिम मानव द्वारा बनाये रेखांकन इस प्रदेश को प्रारम्भिक चित्रण परम्परा को उद्घाटित करते हैं।
  • वी. एस. वाकणकर ने राजस्थान में 1953 में कोटा में चम्बल घाटी और दर्रा, झालावाड़ के निकट कालीसिंध घाटी और अरावली में माउंट आबू तथा ईंडर में चित्रित शैलाश्रयों की खोज की।
  • प्राचीन अभिलेखों से भी उद्घाटित होता है कि राजस्थान में चित्रकला का समृद्ध रूप रहा था, उस समय अजन्ता परम्परा भारतीय चित्रकला में एक नवजीवन का संचार कर रही थी।
  • राजस्थान में सर्वाधिक प्राचीन उपलब्ध चित्रित ग्रंथ जैसलमेर भण्डार में 1060 ई. के ‘ओघ नियुक्ति वृत्ति’ एवं ‘दस वैकालिका सूत्र चूर्णि’ मिले हैं।
  • इन्हें नागपाल के वंशज आनन्द ने आलेख्यकार पाटिल से निर्मित कराया इन ग्रंथों में लक्ष्मी, इंद्र, हाथो की आकृतियां अत्यन्त सुंदर है।
  • मेवाड़ में आरम्भिक चित्र ‘श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि (1260 ई.) में प्राप्त हुआ है।
  • इस ग्रंथ का चित्रांकन तेजसिंह के समय हुआ।
  • दूसरा ग्रंथ ‘सुपानसाह चरियम’ (पार्श्वनाथ चरित्र- 1423 ई.) देलवाड़ा में चित्रित हुआ।
  • इनके अलावा निशीथचूर्णि, नेमीनाथ-चरित्र आदि उल्लेखनीय चित्रित ग्रंथ हैं।
  • जब अरब आक्रमण हुआ तो अनेक कलाकार इधर-उधर निकल पड़े।
  • जो चित्रकार इधर आये थे उन्होंने भी अजन्ता परम्परा को शैली को स्थानीय शैलियों से आबद्ध किया और चित्रकला क्रम को परिवर्द्धित किया।
  • इस क्रम में अनेक ‘चित्रपट’ और ‘चित्रित ग्रंथ’ बनने लगे।

राजस्थान चित्रकला का विकास

  • राजस्थान में जहां पहले ही चित्रकला अच्छे विकसित रूप में थी, इस अजन्ता परम्परा से प्रभावित हुई।
  • इस परम्परा के गुजरात के कलाकार मेवाड़ एवं मारवाड़ पहुँचे और इन्होंने इन भागों में बसना शुरू किया।
  • इस सम्मिश्रण से राजस्थान की मौलिक चित्रकला में एक नवीनता आ गई।
  • इस शैली ने व्यापक रूप धारण किया।
  • इस शैली के तत्वाधान में अनेक जैन ग्रंथ चित्रित हुए साथ ही यह माना गया कि इन्हें जैन साधुओं ने बनाया था। अतः उसे ‘जैन शैली’ कहा गया।
  • जब पता चला कि अनेक अजैन ग्रंथों (दुर्गासप्तशती, गीतगोविन्द आदि) को अजैन चित्रकारों ने चित्रित किया है तो इसे ‘गुजराती शैली’ कहा गया।
  • लेकिन जब उस युग के अनेक चित्र पश्चिमी भारत में मिलने लगे तो इस स्थिति के कारण गुजरात शैली के स्थान पर पश्चिमी भारतीय शैली’ नामकरण किया गया।
  • शीघ्र ही खोज ने इस शैली का दायरा बढ़ा दिया जो गुजरात मालवा से लेकर कांगड़ा नेपाल (लघु-पहाड़ी शैली) तक मिली।
  • उस समय के साहित्य को अपभ्रंश साहित्य कहते हैं तो इस शैली को ‘अपभ्रंश शैली’ कहा जाने लगा।
  • इस प्रकार राजस्थान में प्रसारित इस प्रभाव को ‘जैन शैली’, ‘गुजरात शैली’, ‘पश्चिमी भारत शैली, ‘अपभ्रंश शैली’ कहा जाने लगा।

राजस्थान की चित्रकला

  • राजस्थान में मौलिक कला तथा अजन्ता परम्परा की कला का सामंजस्य विभिन्न रूपों में दिखाई देता है।
  • रायकृष्णदासजों का कथन है कि ‘राजस्थानी चित्रकला का उद्भव अपभ्रंश से गुजरात एवं मेवाड़ में कश्मीर शैली के प्रभाव द्वारा 15वीं सदी में हुआ।’
  • विशुद्ध राजस्थानी शैलों का प्रारम्भ 15वीं सदी के उत्तरार्द्ध से 16वीं सदी के पूर्वार्द्ध के बीच 1500 ई. के लगभग माना जा सकता है।
  • राजस्थानी चित्रकला की जन्मभूमि मेदपाट (मेवाड़) है, जिसने अजन्ता चित्रण परम्परा को आगे बढ़ाया।
  • राजस्थानी चित्रकला पर प्रारम्भ में जैन शैली, गुजरात शैली और अपभ्रंश शैलो का प्रभाव बना रहा, किन्तु बाद में राजस्थान की चित्रशैली मुगल काल से समन्वय स्थापित कर परिमार्जित होने लगी।
  • कतिपय विद्वान 17वीं शताब्दी और 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल को राजस्थानी चित्रकला का स्वर्णयुग मानते हैं।
  • इस प्रकार राजस्थानी चित्रकला को देखा जाये तो पता चलता है कि इसके विराट संग्रहालय में लोक कलाओं का प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक का संग्रह आज भी उपलब्ध है।
  • इसीलिए राजस्थान को विश्व का सबसे बड़ा कला संग्रहालय माना जाता है।
  • विशेष रूप से लोक कलाओं की तो राजस्थान विराट कला दीर्घा ही कही जा सकती है।
  • राजस्थान को ओपन आर्ट गैलेरी भी कहते हैं।

FAQ Rajasthan Chitrakala Ka Udbhav Or Vikas

1. राजस्थान में किसने और कब चित्रित शैलाश्रयों की खोज की?

ANS. वी. एस. वाकणकर ने राजस्थान में 1953 में कोटा में चम्बल घाटी और दर्रा, झालावाड़ के निकट कालीसिंध घाटी और अरावली में माउंट आबू तथा ईंडर में चित्रित शैलाश्रयों की खोज की।

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2. श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि ग्रन्थ का चित्रांकन किसने किया ?

ANS. इस ग्रंथ का चित्रांकन तेजसिंह के समय हुआ।

3. ओपन आर्ट गैलेरी किसे कहते है ?

ANS. राजस्थान को ओपन आर्ट गैलेरी भी कहते हैं।

4. विश्व का सबसे बड़ा कला संग्रहालय किसे माना जाता है?

ANS. राजस्थान को विश्व का सबसे बड़ा कला संग्रहालय माना जाता है।

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