राजस्थान के भौतिक प्रदेश : दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग | Dakshini Purvi Pathari Bhaag

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दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग | Dakshini Purvi Pathari Bhaag इस Post में आपको राजस्थान के भौतिक भाग ( Dakshini Purvi Pathari Bhaag ) के बारें में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी | इसके साथ ही इसमें आपको दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग की विशेषताएं, प्रदेश में पाई जाने वाली नदियों, जलवायु आदि के बारे विस्तृत जानकारी मिलेंगी |


दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग में आने वाले जिले –

  • इस भाग में राज्य के कुल 7 जिले आते हैं, जो निम्न है –
  • कोटा
  • बूंदी
  • झालावाड
  • बारां
  • बांसवाडा
  • चित्तोडगढ व भीलवाडा के कुछ क्षेत्र |

दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग ( Dakshini Purvi Pathari Bhaag ) की विशेषताएं –

  • यह मालवा के पठार का ही एक भाग है तथा चम्बल नदी के सहारे पूर्वी भाग में फैला हुआ है |
  • इस भाग में राज्य के कुल क्षेत्रफल का 7 % भाग आता है |
  • राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 11 % निवास करता है |
  • हाडौती का पठार
  • लावा का पठार
  • इस भाग का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है |
  • यह आगे जा के मालवा के पठार में जा कर मिल जाता है |
  • 80 से लेकर 120 सेमी औसत वर्षा होती है |
  • इस भू भाग के दो भाग है –
  • 1. विन्ध्यन कागार भूमि
    • यह क्षेत्र विशाल बलुआ पत्थरों से निर्मित्त है |
  • 2. दक्कन का लावा पठार –
    • बूंदी व मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँ इसी क्षेत्र में स्थित है |
    • इस क्षेत्र में बलुआ पत्थरों के साथ-साथ बीच-बीच में स्लेटी पत्थर भी मिलता है |
    • यहाँ में भवन-निर्माण में काम आनेवाली पट्टियाँकातले तथा कोटा स्टोन बहुतायत से मिलते हैं |
  • यह संपूर्ण प्रदेश चम्बल और उसकी सहायक काली सिंध, परवन और पार्वती नदियों द्वारा प्रवाहित है
  • यहां की मिट्टी काली उपजाऊ है जिसका निर्माण ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है |
  • इसके अलावा यहाँ लाल कछारी मिट्टी भी पाई जाती है |
  • अति आर्द्र प्रकार की जलवायु पाई जाती है |
  • यह भाग अरावली और विंध्याचल पर्वत के बीच संक्रान्ति प्रदेश है |
  • कपास, गन्ना, अफीम, तम्बाकू, चावल, धनिया, मेथी फसलें और संतरा अधिक मात्रा में होता है |
  • लम्बी घास, झाड़ियाँ, बाँस, खेर, गूलर, सालर, धोंक, ढाक, सागवान आदि प्रकार की वनस्पति पाई है |

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