Rajasthan History : महाराणा अमरसिंह | Maharana Amarsingh – इस POST में आपको महाराणा अमरसिंह- प्रथम, महाराणा कर्णसिंह और महाराणा जगतसिंह के बारे में तथा उनके द्वारा किये गये कार्यों का विस्तारित वर्णन मिलेगा |
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महाराणा अमरसिंह प्रथम ( Maharana Amarsingh ) –
- महराणा अमरसिंह का जन्म 16 मार्च, 1559 को हुआ था |
- प्रताप के देहांत के बाद 19 जनवरी, 1597 ई. को चावंड में इनका राजयाभिषेक किया गया |
- बाद्शाह जहांगीर महाराणा को अधीन करने के इरादे से 8 नवम्बर, 1613 को अजमेर पहुंचा और शहजादा खुर्रम को सेना लेकर मेवाड़ भेजा |
- युद्धों से जर्जर मेवाड़ की अर्थव्यवस्था के मध्यनजर सभी सरदारों एंव युवराज कर्णसिंह के निवेदन पर महाराणा अमरसिंह ने 5 फरवरी, 1615 को निम्न शर्तों पर शहजादा खुर्रम से संधि कर ली थी –
- महाराणा बादशाह के दरबार में कभी उपस्थित नहीं होगा |
- शाही सेना में महाराणा 1000 सवार रखेगा |
- महाराणा का ज्येष्ठ कुंवर शाही दरबार में उपस्थित होगा |
- चितौड किले की मरम्मत नही की जाएगी |
- इस प्रकार गुहिल से अनुमानत : 1050 वर्ष के बाद मेवाड़ की स्वतंत्रता का अंत हुआ |
- 19 फरवरी, 1615 को कुंवर कर्णसिंह को लेकर शहजादा खुर्रम दलबल सहित बादशाह के दरबार में अजमेर पहुंचा |
- 26 जनवरी, 1620 को महाराणा अमरसिंह का देहांत उदयपुर में हुआ और अंत्येष्टि आहड़ में गंगोद्भव के निकट हुआ |
- आहड़ में महासतियों में से सबसे पहली छतरी महाराणा अमरसिंह की है |
- उन को अपनी आंतरिक इच्छा के विरुद्ध बादशाह जहाँगीर से सुलह करनी पड़ी |
- जिससे मेवाड़ की रक्षा होने पर भी उनके चित्त को बड़ा दुःख हुआ |
- इसी कारण वे राजय्कार्य अपने पुत्र को देकर खुद एकांतवास में रहने लग गए थे |
महाराणा कर्णसिंह ( Maharana Amarsingh ) –
- महाराणा कर्णसिंह का जन्म 7 जनवरी, 1584 को हुआ |
- इनका राज्याभिषेक 26 जनवरी, 1620 को हुआ था |
- सन् 1622 में शहजादा खुर्रम ने अपने पिता से विद्रोह किया |
- उस समय शहजादा उदयपुर में महाराणा के पास भी आया |
- शहजादा पहले कुछ दिन देलवाडा की हवेली में ठहरा, फिर जगमंदिर में |
- महाराणा कर्णसिंह ने जगमंदिर महलों को बनवाना शुरू किया |
- जगमंदिर के निर्माण को पूर्ण कर्णसिंह के पुत्र जगतसिंह- प्रथम ने पूर्ण करवाया, इसी कारण उनका जगमंदिर है |
- बादशाह जहाँगीर का देहांत 28 अक्टूबर,1627 को हुआ |
- मार्च, 1628 में महाराणा कर्णसिंह का देहांत हुआ |
महाराणा जगतसिंह – प्रथम –
- कर्णसिंह के बाद उनका पुत्र जगतसिंह प्रथम महाराणा बना |
- इनका राज्याभिषेक 28 अप्रेल, 1628 को हुआ |
- जगतसिंह बहुत ही दानी व्यक्ति थे |
- इन्होने जगन्नाथ राय ( जगदीश ) का भव्य विष्णु का पंचायतन मंदिर बनवाया |
- यह मंदिर अर्जुन और सूत्रधार भाणा और उसके पुत्र मुकुंद की अध्यक्षता में बना |
- उक्त मंदिर की प्रतिष्ठा 13 मई, 1652 को हुई |
- इस मंदिर की विशाल प्रशस्ति जगन्नाथ राय प्रशस्ति की रचना कृष्णभट्ट ने की थी |
- महाराणा ने पिछोला में मोहन मंदिर और रूप सागार तालाब का निर्माण करवाया |
- जगमंदिर में जनाना महल आदि बनवाकर उसका नाम अपने नाम पर ‘जगमंदिर’ रखा |
- जगदीश के पास वाला धाय का मंदिर महाराणा की धाय नौजुबाई द्वारा बनवाया गया |
- महाराणा जगतसिंह के समय ही प्रतापगढ़ की जागीर मुग़ल बादशाह शाहजहाँ द्वारा मेवाड़ से स्वतंत्र करा दी गई |
- महाराणा का स्वर्गवास 1652 में उदयपुर में हुआ |
FAQ :
1. महाराणा अमरसिंह प्रथम का राज्याभिषेक कब और कहाँ पर हुआ ?
ANS. 19 जनवरी, 1597 ई. को चावंड में इनका राजयाभिषेक किया गया |
2. बादशाह जहाँगीर का देहांत कब हुआ ?
ANS. बादशाह जहाँगीर का देहांत 28 अक्टूबर,1627 को हुआ |
3. जगन्नाथ राय प्रशस्ति की रचना किसने की थी ?
ANS. जगन्नाथ राय प्रशस्ति की रचना कृष्णभट्ट ने की थी |
4. जगमंदिर का निर्माण किसने पूर्ण करवाया था ?
ANS. जगमंदिर के निर्माण को पूर्ण कर्णसिंह के पुत्र जगतसिंह- प्रथम ने पूर्ण करवाया, इसी कारण उनका जगमंदिर है |
5. महाराणा अमरसिंह ने शहजादा खुर्रम से कब संधि की थी ?
ANS. 5 फरवरी, 1615 को संधि की थी |
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