Rajasthan History : Ranthmbhour Ke Chouhan | रणथम्भौर के चौहान – इस भाग में आपको Ranthmbhour Ke Chouhan के बारे में तथा अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर आक्रमण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी|
रणथम्भौर के चौहान (Ranthmbhour Ke Chouhan) –
- तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के बाद उसके पुत्र गोविंदराज ने कुछ समय बाद रणथम्भौर में चौहान वंश का शासन स्थापित किया।
- उनके उत्तराधिकारी वल्हण को दिल्ली सुल्तान इल्तुतमिश ने पराजित कर दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
- इसी वंश के शासक वाग्भट्ट ने पुनः दुर्ग पर अधिकार कर चौहान वंश का शासन पुनः स्थापित किया।
- रणथम्भौर के सर्वाधिक प्रतापी एवं अंतिम शासक हम्मीर देव चौहान थे।
- उन्होंने दिग्विजय की नीति अपनाते हुए अपने राज्य का चहुँओर विस्तार किया।
- राणा हम्मीर देव ने अलाउद्दीन के विद्रोही सैनिक नेता मुहम्मदशाह को शरण दे दी।
- अतः दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया।
- 1301 ई. में हुए अंतिम युद्ध में हम्मीर चौहान की पराजय हुई और दुर्ग में रानियों ने जौहर किया तथा सभी राजपूत योद्धा मारे गये। (Ranthmbhour Ke Chouhan)
- 11 जुलाई, 1301 को दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी का कब्जा हो गया।
- यह राजस्थान का पहला साका माना जाता है।
- इस युद्ध में अमीर खुसरो अलाउद्दीन की सेना के साथ ही था।
FAQ –
ANS. तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के बाद उसके पुत्र गोविंदराज ने कुछ समय बाद रणथम्भौर में चौहान वंश का शासन स्थापित किया।
ANS. वल्हण को दिल्ली सुल्तान इल्तुतमिश ने पराजित कर दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
ANS. वाग्भट्ट ने दिल्ली सुल्तान इल्तुतमिश को हरा कर पुनः दुर्ग पर अधिकार कर चौहान वंश का शासन पुनः स्थापित किया।
ANS. रणथम्भौर के सर्वाधिक प्रतापी एवं अंतिम शासक हम्मीर देव चौहान थे।
ANS. राणा हम्मीर देव ने अलाउद्दीन के विद्रोही सैनिक नेता मुहम्मदशाह को शरण दे दी, अतः दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया।
ANS. सन् 1301 ई. में आक्रमण किया।
ANS. 11 जुलाई, 1301 को रणथम्भौर दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी का कब्जा हो गया।
ANS. राजस्थान का प्रथम शाका 1301 ई. में हुआ और रणथम्भौर में हुआ था।
ANS. अलाउद्दीन खिलजी की सेना में प्रसिद्ध इसिहासकार अमीर खुसरो था |