Rajasthan History : Shekhawati Kshetra Ke Kisaan Aandolan | शेखावाटी क्षेत्र के किसान आन्दोलन – इस भाग में आपको Shekhawati Kshetra Ke Kisaan Aandolan सभी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी |
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शेखावाटी क्षेत्र के किसान आन्दोलन –
- प्रजामंडल समिति, जिसके सदस्य श्री हीरालाल शास्त्री, श्री टीकाराम पालीवाल, सरदार हरलाल सिंह और एडवोकेट श्री विद्याधर कुलहरि थे, द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन राज्य के भूमिसुधारों के इतिहास में मैग्नाकर्टा कहा जा सकता है।
- यह एक सम्पूर्ण दस्तावेज था जिसमें किसानों से सम्बन्धित सभी समस्याओं यथा-भूमि का स्थायी बन्दोबस्त, लगान की न्यायोचित दर, भूमि पर किसान का स्वामित्व तथा बेदखली के विरुद्ध सुरक्षा, लाग-बाग व बेगार तथा खेतों पर लगाए गए पेड़ों के अधिकार आदि का समाधान प्रस्तुत किया गया था।
सीकर ठिकाने में किसान आंदोलन –
- यहाँ सीकर के नए रावराजा ठाकुर कल्याणसिंह द्वारा 1922 ई. में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक भूमि लगान वसूल किये जाने के साथ ही सीकर में किसानों ने व्यापक आंदोलन प्रारम्भ किया।
सीकर किसान आंदोलन के प्रमुख केन्द्र थे –
- पलथाना, कटराथल, गोधरा एवं कुदन गाँव।
- 3 दिसम्बर, 1945 को जयपुर राज्य प्रजामंडल द्वारा ताजसर नामक स्थान पर एक विशाल जाट सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कटराथल में प्रथम महिला सम्मेलन –
- सीहोट के ठाकुर द्वारा जाट महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार का विरोध करने के लिए
- 25 अप्रैल, 1934 को कटराथल नामक स्थान पर श्रीमती किशोरी देवी के नेतृत्व में एक विशाल महिला सम्मेलन आयोजित किया गया
- जिसमें लगभग 10000 जाट महिलाओं ने भाग लिया।
- इस सम्मेलन की अध्यक्षा थी- श्रीमती किशोरी देवी, धर्मपत्नी सरदार हरलाल सिंह ।
- सम्मेलन में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाएँ थी- श्रीमती दुर्गा देवी शर्मा, श्रीमती फूलां देवी, श्रीमती रमा देवी आदि ।
- ठाकुर देशराज की पत्नी श्रीमती उत्तमादेवी के ओजस्वी भाषण ने महिलाओं में साहस और निर्भयता का संचार किया।
- कटराथल में हुए इस विशाल महिला सम्मेलन ने शेखावाटी क्षेत्र की जनता में उत्कट राजनैतिक चेतना का संचार किया।
जयसिंहपुरा किसान हत्याकांड (Shekhawati Kshetra Ke Kisaan Aandolan) –
- 21 जून, 1934 को डूंडलोद के ठाकुर के भाई ईश्वर सिंह ने जयसिंहपुरा में खेत जोत रहे किसानों पर हमला किया तथा अंधाधुंध गोलियाँ बरसाई।
- सम्पूर्ण जयपुर रियासत में ‘जयहसंहपुरा शहीद दिवस‘ मनाया गया।
- ईश्वर सिंह व उसके साथियों पर मुकदमा चलाया गया व उन्हें कारावास की सजा हुई।
- जयपुर राज्य में यह प्रथम मुकदमा था, जिसमें जाट किसानों के हत्यारों को सजा दिलाना सम्भव हो सका।
- जयपुर सरकार ने सीकर ठिकाने के अत्याचारों को रोकने के लिए एक अंग्रेज अफसर डब्ल्यू टी-वैब को नियुक्त किया।
- वैब के प्रयासों से ठिकाने व किसानों के मध्य 23 अगस्त, 1934 को समझौता हो गया।
- इसके द्वारा ‘सीकरवाटी जाट पंचायत‘ को वैधानिक मान्यता दी गई लेकिन समझौते का ठिकाने द्वारा कभी भी पूर्णतः पालन नहीं किया गया। अत: आंदोलन पुनः प्रारंभ हुआ।
- खुडीगाँव व कूदन गाँव में वैब द्वारा व्यापक नरसंहार कराया गया।
- कूदन गाँव का हत्याकांड इतना वीमत्स था कि ब्रिटेन की संसद के सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स‘ में भी इस पर चर्चा हुई।
शेखावाटी के किसान आंदोलन(Shekhawati Kshetra Ke Kisaan Aandolan) –
- यहाँ का किसान आंदोलन 1925 में शुरू हुआ था और 1946 में श्री हीरालाल शास्त्री के माध्यम से समाप्त हुआ।
- शेखावाटी के किसान आंदोलन मुख्यतः आर्थिक शोषण के विरुद्ध हुए और ये आंदोलन अधिकतर जागीरी क्षेत्रों में हुए।
- इसी तरह सीकर, तोरावाटी, उदयपुरवाटी व बीकानेर आदि स्थानों पर जाट किसान आंदोलन हुए।
- राजस्थान में ये आंदोलन ही स्वतंत्रता प्राप्ति के आधारों में खास रहे।
- इन आंदोलनों का प्रभाव यह रहा कि सामन्ती उत्पीड़न और शोषण को अपनी तकदीर मानकर चुपचाप उसे सहने का आदी रहा किसान मुखर होकर चिन्तनशील बना।
- स्वतंत्रता मिलने के बाद जागीरदारी उन्मूलन कानून आदि बने, जिससे सदियों से चली आ रही सामन्ती व्यवस्था का अंत हो गया और धरती पुत्र ही सही मायने में भू-स्वामी बन गए ।
FAQ: (Shekhawati Kshetra Ke Kisaan Aandolan) –
ANS. श्री हीरालाल शास्त्री, श्री टीकाराम पालीवाल, सरदार हरलाल सिंह और एडवोकेट श्री विद्याधर कुलहरि भूमिसुधारों के इतिहास में मैग्नाकर्टा कहा जाटा है|
ANS. पलथाना, कटराथल, गोधरा एवं कुदन गाँव।
ANS. 25 अप्रैल, 1934 को कटराथल नामक स्थान पर श्रीमती किशोरी देवी के नेतृत्व में एक विशाल महिला सम्मेलन आयोजित किया गया
ANS. 21 जून, 1934 को डूंडलोद के ठाकुर के भाई ईश्वर सिंह ने जयसिंहपुरा में खेत जोत रहे किसानों पर हमला किया तथा अंधाधुंध गोलियाँ बरसाई।
ANS. शेखावाटी का किसान आंदोलन 1925 में शुरू हुआ था और 1946 में श्री हीरालाल शास्त्री के माध्यम से समाप्त हुआ।
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