Rajasthan History : बीकानेर के राजा | Bikaner Ke Raja

Share with friends

Rajasthan History : बीकानेर के राजा | Bikaner Ke Raja – इस भाग में आपको महाराजा रायसिंह के बाद के सभी राजाओं के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है |


महाराजा कर्णसिंह-

  • अपने पिता सुरसिंह के देहांत के बाद ज्येष्ठ पुत्र कर्णसिंह सन् 1631 में बीकानेर के सिंहासन पर बैठे |
  • ये बीकानेर के प्रतापी राजा हुए |
  • ये ओरंगजेब के विशेष कृपापात्र रहे |
  • इसे अन्य शासकों ने ‘जांगलधर बादशाह‘ की उपाधि से सम्मानित किया था |
  • कर्णसिंह के समय अनेक साहित्यिक ग्रन्थों की रचना हुई, जिनमे कर्णभूषण (गंगानंद मैथिलि द्वारा रचित) व साहित्य कल्पद्रुम प्रमुख है |

महाराजा अनूप सिंह (Bikaner Ke Raja)-

  • इन्होने 1669 ई. में बीकानेर का शासन सम्भाला |
  • इनके द्वारा दक्षिण में मराठों के विरुद्ध की गयी कार्यवाही से खुश होकर बादशाह ओरंगजेब ने इनको ‘महाराजा‘ और ‘माही मरातिब‘ का खिताब देकर सम्मानित किया |
  • महाराजा अनूपसिंह एक प्रकाण्ड विद्वान, कूटनीतिज्ञ, विद्यानुरागी एवं संगीत प्रेमी थे। |
  • इन्होंने अनेक संस्कृत ग्रंथोंअनूपविवेक, काम-प्रबोध, अनूपोदय आदि की रचना की।
  • इनमें मणिराम कृत ‘अनूप व्यवहार सागर‘ एवं ‘अनूपविलास‘, अनंन भट्ट कृत ‘तीर्थ रत्नाकर‘ तथा संगीताचार्य, भावभट्ट द्वारा रचित ‘संगीत अनूपाकुंश‘, ‘अनूप संगीत विलास‘, ‘अनूप संगीत रत्नाकर‘ आदि प्रमुख हैं।
  • दक्षिण भारत से अनेकानेक ग्रन्थ लाकर अपने पुस्तकालय में सुरक्षित किये।
  • अनूप पुस्तकालय में वर्तमान में बड़ी संख्या में ऐतिहासिक व महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का संग्रह मौजूद है।
  • दयालदास की ‘बीकानेर रा राठौड़ां री ख्यात‘ में जोधपुर व बीकानेर के राठौड़ वंश का वर्णन है।
  • तत्कालीन बीकानेर नरेश सूरतसिंह ने मार्च, 1818 में ईस्ट इंडिया कम्पनी से सुरक्षा संधि कर ली और राज्य में शांति व्यवस्था कायम करने में लग गये। Bikaner Ke Raja
  • इस प्रकार बीकानेर में ब्रिटिश प्रभुत्व कायम हो गया।

किशनगढ़ (Bikaner Ke Raja) –

  • राजस्थान में राठौड़ वंश का तीसरा राज्य किशनगढ़ था |
  • जिसकी स्थापना सन् 1609 में जोधपुर के शासक मोटाराजा उद्यसिंह के पुत्र श्री किशनसिंह ने की थी।
  • सम्राट जहाँगीर ने यहाँ के शासक को ‘महाराजा‘ का खिताब दिया। Bikaner Ke Raja
  • यहाँ महाराजा सावंतसिंह प्रसिद्ध राजा हुए, जो कृष्णभक्ति में राज-पाट छोड़कर वृन्दावन चले गये एवं ‘नागरीदास‘ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

FAQ :

1. महाराजा कर्णसिंह बीकानेर के शासक कब बने?

ANS. पिता सुरसिंह के देहांत के बाद ज्येष्ठ पुत्र कर्णसिंह सन् 1631 में बीकानेर के सिंहासन पर बैठे |

WhatsApp Channel Join Now

Telegram Group Join Now

2. जांगलधर बादशाह की उपाधि किसे दी गई है ?

ANS. महाराजा कर्णसिंह को |

3. ओरंगजेब ने महाराजा अनूप सिंह को क्या खिताब दिया था ?

ANS. महाराजा और माही मरातिब के खिताब से स्म्म्मानित किया |

4. राजस्थान में राठौड़ वंश का तीसरा राज्य कौनसा था ?

ANS. किशनगढ़ |

5. नागरीदास के नाम से कौन से प्रसिद्ध हुए थे ?

ANS. किशनगढ़ के महाराजा सावंतसिंह नागरीदास के नाम से प्रसिद्द हुए थे |

Read Also :

Leave a Comment