Rajasthan History : Mahttavpurn Kisaan Aandolan | महत्तवपूर्ण किसान आन्दोलन – इस POST में राजस्थान के प्रमुख सभी किसान आन्दोलन ( अलवर, नीमुचाणा, मेव, बूंदी, जाट और दुधवा खारा किसान आन्दोलन ) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी |
सरकारी नौकरी भर्ती और सरकारी योजना की जानकारी प्राप्त करने के लिए निचे दिए बटन पर क्लिक करके , गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें
अलवर किसान आन्दोलन –
Table of Contents
- अलवर रियासत में जंगली सुअरों को अनाज खिला कर रोधों में पाला जाता था |
- ये सूअर किसानों की खड़ी फसलों को बर्बाद कर देते थे |
- उनको मारने पर भी राज्य सरकार ने पाबन्दी लगा रखी थी |
- सूअरों की समस्या के निराकरण हेतु किसानों ने 1921 ई. में आन्दोलन शुरू किया |
- अंतत: सरकार ने समझौता कर किसानों को सूअर मारने की इजाजत दे दी |
नीमुचाणा किसान आन्दोलन –
- 1923-24 में अलवर महाराजा जयसिंह ने लगान की दरों को बढ़ा दिया |
- विरोधस्वरूप 14 मई, 1925 को लगभग 800 किसान अलवर के नीमुचाणा गाँव में एकत्र हुए |
- उस सभा पर सैनिक बल के द्वारा मशीनगनों से अंधाधुंध फायरिंग करने के कारण सैंकड़ों लोग मरे गए |
- महात्मा गांधी ने इस घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी ज्यादा वीभत्स बताया था |
- इसे ‘Dyrism Double Distilled‘ की संज्ञा दी|
- अंतत: सरकार को लगान के बारे में किसानों के समक्ष झुकना पड़ा और एक बार आन्दोलन रुक गया |
मेव किसान आन्दोलन –
- अलवर और भरतपुर रियासतों के मेवात क्षेत्र के किसानों ने 1932 में डॉ. मोहम्मद अली के नेतृत्त्व में आन्दोलन शुरू कर दिया|
- अलवर के मेव किसनों ने लगान देने से इनकार कर दिया |
- अलवर साम्रदायिक हिंसा का शिकार होने लगा |
- 1933 में ब्रिटिश सरकार ने किसानों की कुछ मांगे मानकार आन्दोलन रोका |
- भरतपुर के मेव किसानों ने भी 1933 में लगान देना बंद कर दिया लेकिन यहाँ सरकार ने आन्दोलन को सफल नही होने दिया |
बूंदी किसान आन्दोलन –
- सन् 1926 में पंडित नयनुराम शर्मा के नेतृत्त्व में बूंदी के किसानों ने बेगार, लागबाग और लगान की ऊँची दरों के विरुध्द आन्दोलन छेड़ा |
- स्थान -स्थान पर सभाएं और सम्मलेन हुई|
- राज्य ने दमन का सहारा लिया |
- डाबी में किसानों के सम्मलेन पर पुलिस ने गोली चला दी, जिससे नानकजी भील घटनास्थल पर ही शहीद हो गए |
जाट किसान आन्दोलन –
- मेवाड़ में महाराणा फतहसिंह के अवयस्क शासन काल में 22 जून, 1880 को चित्तोडगढ में रश्मि परगना स्थित मात्रीकुंदिया नामक स्थान पर हजारों जाट किसोनों ने नई भू-राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध एक जबरदस्त प्रदर्शन किया |
- जुलाई माह के अंत में यह आन्दोलन समाप्त हो गया |
दुधवा खारा किसान आन्दोलन –
- बीकानेर रियासत के (वर्तमान चुरू जिले के ) दुधवा खारा व कांगड़ा गाँव के किसानों ने जागीरदारों के अत्याचार एंव शोषण के विरुद्ध किसानों ने आन्दोलन किया |
- जागीरदारों ने किसानों पर भीषण अत्याचार किये एंव आन्दोलन को कुचल दिया |
- रियासत में किसानों आन्दोलन में वैद्य मघाराम,रघुवर दयाल गोयल, किसान हनुमान सिंह आर्य आदि ने नेतृत्त्व प्रदान किया |
FAQ : –
ANS. सुअरों की समस्या के कारण अलवर का किसान आन्दोलन 1921 में आरम्भ हुआ था |
ANS. 14 मई, 1925 को अलवर के नीमुचाणा में हुए हत्याकांड के लिए महात्मा गांधी ने कहा था की यह घटना जलियावाला बाग़ से भी ज्यादा वीभत्स है|
ANS. अलवर के नीमुचाणा में हुए हत्याकांड को ‘Dyrism Double Distilled‘ की संज्ञा दी गई है|
ANS. मेव किसान आन्दोलन 1932 में डॉ. मोहम्मद अली के नेतृत्त्व में आन्दोलन शुरू हुआ |
ANS. बूंदी किसान आंदोलन सन 1926 में पंडित नयनुराम शर्मा के नेतृत्त्व में हुआ|
Read Also :
- Rajasthan GK Important Questions in Hindi
- राजस्थान का परिचय
- स्थिति और विस्तार
- राजस्थान के संभाग और जिले
- राजस्थान के भौतिक प्रदेश : उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय भाग
- अरावली पर्वतीय प्रदेश
- पूर्वी मैदानी भाग
- दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग
- राजस्थान के प्रमुख बाँध, झीलें और तालाब