Rajashan History : मेवाड़ इतिहास | Mewad Itihaas – इस भाग में हम Mewad Itihaas के रावल रतनसिंह, महाराणा हम्मीर, महाराणा लाखाऔर महाराणा मोकल के बारे जानकारी प्राप्त करेंगें |
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रावल रतनसिंह –
- जैत्रसिंह के वंशज समरसिंह के दो पुत्र हुए – रतनसिंह और कुम्भकरण |
- कुम्भकर्ण नेपाल चला गया और वहां इस राजवंश की नींव डाली |
- रतन सिंह मेवाड़ का राजा बना |
- रावल रतनसिंह के शासन काल की प्रमुख घटना ‘चित्तोड़ का प्रथम शाका’ थी |
- दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने चित्तोड़ पर 28 जनवरी, 1303 ई. में आक्रमण किया और 26 अगस्त,1303 ई. को चित्तोड़ किला फ़तेह किया |
- मालिक मोह्म्मुद जायसी के ‘पद्मावत’ के अनुसार यह युद्ध रावल रतनसिंह रूपवती महारानी पद्मिनी के लिए हुआ |
- इस युद्ध में रावल रतन सिंह मार गये तथा रानी पद्मिनी ने जौहर किया |
- गोरा और बादल दो वीर युवकों ने इस युद्ध में महत्तवपूर्ण भुमिका निभाई तथा वीरगति को प्राप्त हुए |
- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ का किला अपने पुत्र खिज्र खां को सौंप कर उसका नाम खिज्राबाद रख दिया |
- चित्तोड़ के प्रथम शाके में प्रसिद्ध इतिहासकार व कवी आमिर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी के साथ था |
- यह शाका राजस्थान का दूसरा शाका था |
- अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तोड़ पर आक्रमण के प्र्मुख कारण-
- अलाउद्दीन का अत्यधिक महत्वाकांक्षी होना |
- चित्तोड़ दुर्ग का सामरिक महत्तव तथा भौगोलिक स्थिति |
- दिल्ली से मालवा, गुजरात और दक्षिण भारत जाने वाला मुख्य मार्ग इसी के पास होकर गुजरता था |
- रावल रतनसिंह की सुन्दर रानी को प्राप्त करने की लालसा |
महाराणा हम्मीर ( Mewad Itihaas ) –
- 1326 ई. में सिसोदिया शाखा के राणा अरिसिंह के पत्र राणा हम्मीर ने चित्तोडगढ पर वहां के राजा जैसा को हरा कर अपना अधिकार कर लिया था |
- राणा हम्मीर ने चित्तोड़ में गुहिलों के वंशज, सिसोदिया वंश की नींव डाली, तब से मेवाड़ के शासक महाराणा कहलाने लगे | Mewad Itihaas
- राणा हम्मीर ने दिल्ली के सुलतान मुहम्मद तुगलक के चित्तोड़ आक्रमण को विफल किया |
- तब से लेकर महाराणा उदयसिंह ( 1567 ई. ) के समय तक मेवाड़ का शासन चित्तोड़ दुर्ग से ही चलता रहा |
- महाराणा कुम्भा स्वर निर्मित ‘रसिक प्रिया’ टीका में तथा कीर्तिस्तम्भ प्रशस्ति में हम्मीर को ‘विषम घाटी पंचानन’ ( विकट आक्रमणों में सिंह के सदृश )कहा है |
- हम्मीर का देहांत 1364 ई. में होना माना जाता है |
महाराणा लाखा –
- महाराणा हम्मीर के पौत्र व क्षेत्रसिंह ( खेता ) के पुत्र लक्ष सिंह ( राणा लाखा ) सन् 1382 में चित्तोड़ के राज्य सिंहासन पर बैठे |
- इनके राज्य काल में मगरा के जावर गाँव में चांदी की खान निकल आई, जिससे चांदी और सीसा निकला जिस से राज्य की आय में बड़ी वृद्धि हुयी | Mewad Itihaas
- महाराणा लाखा के काल में ही एक बंजारे ने पिछोला झील का निर्माण करवाया था |
- राणा लाखा का वृद्धावस्था में मन्दौर के राव रणमल राठोड की बहिन हंसाबाई के साथ विवाह किया |
- लाखा के बड़े पुत्र चुंडा ने मेवाड़ का राज्य हंसाबाई की होने वाली सन्तान को देने की भीष्म प्रतिज्ञा ली |
महाराणा मोकल ( Mewad Itihaas ) –
- हंसाबाई ने मोकल को जन्म दिया |
- महाराणा लाखा की मृत्यु ( 1421 ई. ) के बाद चुंडा ने मोकल को राज्य का सिंहासन पर बैठाया |
- महाराणा मोकल ने समिद्धेश्वर मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया तथा द्वारिकानाथ ( विष्णु ) का मंदिर बनवाया |
- मोकल की हत्या महाराणा खेता की पासवान के पुत्र चाचा और मेरा ने सन् 1433 ई. में की |
- महराणा मोकल की हत्या का बदला राव रणमल ने चाचा और मेरा की हत्या कर के लिया |
FAQ :
1. चित्तोड़ का प्रथम शाका किस के शासन काल में हुआ ?
ANS. रावल रतनसिंह के शासन काल की प्रमुख घटना ‘चित्तोड़ का प्रथम शाका’ थी |
2. पद्मावत के लेखक कौन थे ?
ANS. मालिक मोह्म्मुद जायसी |
3. मोकल की हत्या किस किस ने मिल कर की थी?
ANS. मोकल की हत्या महाराणा खेता की पासवान के पुत्र चाचा और मेरा ने सन् 1433 ई. में की |
4. चांदी की खान किस के शासन काल में निकली थी ?
ANS. महाराणा लाखा के समय |
5. पिछोला झील का निर्माण किसने और किसके शासनकाल में करवाया था ?
ANS. महाराणा लाखा के काल में ही एक बंजारे ने पिछोला झील का निर्माण करवाया था |
अगले भाग में आपको महाराणा कुम्भा के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी |
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