Rajasthan History : मिर्जा राजा जयसिंह | Mirja Raja Jaysingh : इस भाग में आपको आमेर के Mirja Raja Jaysingh के शासक बनने, पुरंदर की संधि तथा उनके जीवन अंत तक का पूरा वर्णन विस्तारपूर्वक मिलेगा |
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मिर्जा राजा जयसिंह –
Table of Contents
- आमेर के शासक भावसिंह की मृत्यु के बाद जयसिंह (महासिंह का पुत्र) 23 दिसम्बर, 1621 ई. को राजा बने।
- तब इनकी उम्र 11 वर्ष थी, जब ये राजा बने।
- इनके लम्बे शासनकाल में इन्होंने तीन मुगल बादशाहों– जहाँगीर, शाहजहाँ एवं औरंगजेब के साथ कार्य किया।
- शाहजहाँ ने 1638 ई. में इन्हे ‘मिर्जा राजा‘ की पदवी से सम्मानित किया।
- जयपुर के कछवाहा वंश में इन्होंने सर्वाधिक अवधि 46 वर्ष तक शासन किया।
- मिर्जा राजा जयसिंह एक अद्वितीय यौद्धा थे।
- अपनी योग्यता, साहस एवं युद्ध कौशल की वजह से वे तीनों बादशाहों के सबसे विश्वस्त सेनापति थे।
- उनमें युद्ध कौशल के साथ कला एवं शिल्प के प्रति भी उतना ही अनुराग था।
- आमेर में उनके बनवाये हुए महल, जयगढ़ का दुर्ग आदि उनकी वास्तु कला के प्रति रूचि का द्योतक है।
- ये सब उत्तर मुग़ल कालीन राजपूत-मुग़ल शैली के प्रतिक है।
- स्वंय विद्वान् होने के साथ-साथ वह बिहारी जैसे विद्वान् कवियों के आश्रयदाता भी थे।
- बिहारी ने बिहारी सतसई ग्रन्थ की तथा रामकवि ने ‘जयसिंह चरित्र‘ ग्रन्थ की रचना इन्हीं के समय में की थी।
- 8 सितम्बर, 1667 ई. को दक्षिण से वापस आते समय बुरहानपुर में इनका देहांत हो गया।
पुरंदर की संधि –
- मिर्जा राजा जयसिंह ने शिवाजी के विरुद्ध अभियान द्वारा शिवाजी को मुगल सम्राट से संधि करने के लिए विवश कर दिया तथा औरंगजेब की अधीनता स्वीकार करने के लिए राजी कर लिया।
- 11 जून, 1665 को शिवाजी व जयसिंह के मध्य संधि हो गई।
- इस संधि को पुरंदर की संधि कहते हैं।
FAQ (Mirja Raja Jaysingh) :
ANS. 11 जून, 1665 को शिवाजी और मिर्जा राजा जयसिंह के बीच में पुरंदर की संधि हुई |
ANS. 11 जून, 1665 को शिवाजी और मिर्जा राजा जयसिंह के बीच में पुरंदर की संधि हुई |
ANS. 1638 ई. में शाहजहाँ ने जयसिंह को ‘मिर्जा राजा’ की उपाधि दी थी |
ANS. राम कवि ने मिर्जा राजा जयसिंह के शासन काल में ही जयसिंह चरित्र की रचना की थी |
ANS. कवि बिहारी के द्वारा मिर्जा जयसिंह के काल में ही बिहारी सतसई की रचना की गई थी |
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