अभी पढ़ ले शिक्षण विधियों के ये महत्तवपूर्ण प्रश्न, परीक्षा में पूछे जाते है बार-बार : – इसमें दिए गए सभी Shikshan Vidhiyon Ke Mahattavpurn Prshn कई परीक्षाओं में अनेकों बार पूछे गए है। ये RPSC द्वारा आयोजित होने वाली RPSC 2nd Grade, RPSC 1st Grade, तथा REET परीक्षा के लिए भी महत्तवपूर्ण है। इनके अलावा ये प्रश्न CTET, STET तथा UPTET आदि के लिए महत्तवपूर्ण साबित होंगे।
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शिक्षण विधियों के महत्तवपूर्ण प्रश्न Shikshan Vidhiyon Ke Mahattavpurn Prshn
- एसी प्रविधि जिसमें विद्यार्थियों को खुली चर्चा करने के अवसर मिलते है वह है-
- दल शिक्षण
- आगमन
- कार्यशाला
- प्रयोगशाला
- समवाय के सिद्धांत का पालन करती है-
- दल शिक्षण
- प्रयोजना
- समस्या समाधान
- पैनल चर्चा
- बालकों को अपनी रुचि के अनुसार कार्य करने के अवसर मिलते है-
- समस्या समाधान
- प्रयोगशाला
- प्रयोजना
- अनुसंधान
- बच्चों के मानसिक व व्यक्तिगत विकास में सर्वाधिक योगदान निम्न में से किस विषय का होता है-
- नागरिक शिक्षण
- धार्मिक शिक्षण
- विज्ञान शिक्षण
- सामाजिक शिक्षण
- विज्ञान शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है-
- अनुशासनात्मक
- सांस्कृतिक
- सामाजिक
- उपरोक्त सभी
- प्राथमिक विधालय में विज्ञान संग्रहालय बनाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य होता है-
- पाठों को शीघ्रतापूर्वक दोहराने के अवसर देना
- व्यक्तिगत शिक्षा के अवसर प्रदान करना
- छात्रों में अवलोकन तथा संग्रह करने की आदत डालना
- विज्ञान-अध्यापक में धन की बचत करना
- उद्देश्य जिनका सम्बन्ध हमारे ज्ञान के पुनः स्मरण पहचान, बौद्धिक क्षमता एवम् कोशल विकास से है। सम्बन्धित है-
- ज्ञानात्मक
- भावात्मक
- क्रियात्मक
- ये सभी
- विज्ञान शिक्षण में कार्यवाही से तात्पर्य है-
- बच्चों द्वारा उत्तेजना के आधार पर गत्यात्मक क्रिया सम्पन्न करना
- बच्चों द्वारा किया गया गृहकार्य
- स्कूल की छुट्टी के बाद की जाने वाली कार्यवाही
- अध्यापक द्वारा सभी बच्चों को दिया जाने वाला दंड
- सामान्य ज्ञान का संगठित एवम् सुव्यवस्थित रूप क्या कहलाता है-
- कला
- विज्ञान
- इतिहास
- राजनीति
- दल शिक्षण में शिक्षण करते हैं-
- एक शिक्षक
- दो शिक्षक
- दो या दो से अधिक शिक्षक
- उपरोक्त में से कोई नहीं
- विज्ञान शिक्षण की प्रोजेक्ट विधि है-
- मनो वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है
- प्रयोगात्मक व व्यवहारिक है
- थोर्नडाईक के सीखने के नियमो पर आधारित है
- सभी
- प्रोजेक्ट विधि सर्वाधिक उपयोगी है-
- सामान्य बालकों के लिए
- प्रतिभाशाली बालकों के लिए
- मंद बुद्धि बालकों के लिए
- ये सभी
- प्रयोजना विधि का अंतिम पद होता है-
- परिस्थिति की उत्पन्न करना
- मूल्यांकन
- क्रियान्वयन
- लेखा-जोखा
- प्रयोगशाला विधि का प्रथम पद होता है-
- उद्देश्य
- विधि
- उपकरण
- प्रेक्षण
- प्रयोग प्रदर्शन विधि नहीं है-
- शिक्षक केंद्रित
- छात्र केंद्रित
- मितव्ययी एवम् सरल
- प्रयोग पर आधारित
- विज्ञान शिक्षण में सर्वाधिक महत्त्व है-
- ज्ञान के भंडार का
- ज्ञान प्राप्ति के मार्ग का
- दोनों का
- कोई नही
- समस्या समाधान विधि की विशेषता है-
- लक्ष्य केंद्रित व सृजनात्मक
- सूझबुझ या अन्तर्दृष्टिपूर्ण
- आलोचनात्मक व चयनात्मक
- सभी
- विज्ञान भ्रमण का आयोजन किया जाता है-
- विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा
- अध्यापकों द्वारा
- विज्ञान क्लब द्वारा
- विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्रों द्वारा
- प्राकृतिक विज्ञान के उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है-
- प्रयोगशीलता के आधार पर
- समयबद्धता के आधार पर
- उपयुक्तता के आधार पर
- उपरोक्त सभी
- विज्ञान शिक्षण का लक्ष्य है-
- शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन
- तर्क शक्ति का विकास
- दैनिक जीवन में बंधी समस्या का हल
- उपरोक्त सभी
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में सारांशात्मक मूल्यांकन का एक भाग है तो दूसरा भाग –
- निर्माणात्मक मूल्यांकन है
- परिमाणात्मक मूल्यांकन है
- निदानात्मक मूल्यांकन है
- गुणात्मक मूल्यांकन है
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के उपकरण हैं –
- गृह कार्य
- चेक लिस्ट
- पोर्टफोलियो
- उपरोक्त सभी
- सतत एवं व्यापक मूल्यांकन हेतु परिमाणात्मक प्रविधियां है –
- मौखिक परीक्षा
- लिखित परीक्षा
- प्रायोगिक परीक्षा
- उपरोक्त सभी
- कौन सी परीक्षा लिखित परीक्षा के पूरक के रूप में उपयोगी होती है –
- मौखिक परीक्षा
- वस्तुनिष्ठ परीक्षा
- प्रयोगात्मक परीक्षा
- रचनात्मक परीक्षा
- आकस्मिक निरीक्षण अभिलेख के आधार पर विद्यार्थियों के संबंध में किया जा सकता है –
- विशिष्ट करण
- सर्वजनिकीकरण
- सामान्यीकरण
- माध्यमीकरण Shikshan Vidhiyon Ke Mahattavpurn Prshn
- उपचारात्मक शिक्षण है –
- छात्रों की कमियों का पता लगाकर दूर करना
- बौद्धिक स्तर पर आगे रहने वाले छात्रों का पढ़ाना
- छात्रों की वर्तनी संबंधी कठिनाइयों का पता लगाना
- अध्यापक की शिक्षण संबंधी कठिनाइयों का पता लगाना
- उपचारात्मक शिक्षण द्वारा उन कमियों को दूर किया जाता है –
- जो छात्रों के शारीरिक विकास में बाधक हो
- छात्रों के मानसिक विकास में बाधक हो
- जो छात्रों के शैक्षिक विकास में बाधक हो
- छात्रों के सामाजिक विकास में बाधक हो
- उपचारात्मक शिक्षण द्वारा –
- विद्यार्थी के घायल होने पर उपचार करते हैं
- विशिष्ट विद्यार्थियों का उपचार करते हैं
- जो छात्रों के सामाजिक विकास में बाधक हो
- विद्यार्थियों के शैक्षिक कमजोरियों का निदान कर उसे दूर करने हेतु शिक्षण करते हैं
- उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य हैं –
- अधिगम के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना
- शिक्षा संबंधी बुरी आदतों से मुक्ति दिलाना
- छात्रों में अच्छे व्यक्तित्व को प्रोत्साहन देना
- उपरोक्त सभी
- ब्लायर के मतानुसार उपचारात्मक शिक्षण का प्रमुख कार्य है –
- दोषपूर्ण अध्ययन और शिक्षण के प्रभाव को दूर करना
- छात्रों की कमजोरियों का पता लगाना
- अध्यापक की कुशलता को परखना
- नैदानिक परीक्षा
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