Rajasthan History : आमेर के राजा मानसिंह | Aamer Ke Raja Maansingh : इस भाग में आपको Aamer Ke Raja Maansingh के बारे में जैसे की – हल्दीघाटी का युद्ध, काबुल की सुबेदारी, बिहार सुबेदारी, उड़ीसा विजय आदि के बारे विस्तृत जानकारी मिलेगी |
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आमेर के राजा मानसिंह (Aamer Ke Raja Maansingh) –
Table of Contents
- राजपूतों का मुगलों के साथ सहयोग सन् 1562 ई. में प्रारम्भ हुआ था।
- आमेर राजस्थान का प्रथम राज्य था जिसने मुगलों के साथ सहयोग और समर्पण की नीति अपनाई।
- राजा भारमल के पौत्र तथा राजा भगवन्तदास के पुत्र कुँवर मानसिंह का सम्राट अकबर से परिचय 1562 ई. में हुआ।
- मानसिंह का जन्म 2 दिसम्बर, 1550 ई. को ग्राम मौजमाबाद में हुआ था।
- मानसिंह ने 1562 ई. से जीवनपर्यन्त (1614 ई. तक) मुगल साम्राज्य की सेनानायक, सूबेदार एवं मनसबदार के रूप में सेवा की थी।
- ये अकबर के सर्वाधिक विश्वस्त सेनानायक थे।
- मुगल सम्राट अकबर के समय जिन राजपूत शासकों ने मुगलों को सहयोग किया उनमें मानसिंह का योगदान सर्वोपरि था।
- 1589 में इन्होंने आमेर का शासन सँभाला।
- मानसिंह का अधिकांश समय मुगल साम्राज्य की सेवा में आमेर से बाहर ही बीता।
- राजा मानसिंह-I न केवल एक अच्छे सेनानायक संरक्षक भी थे।
- इनके समय रायमुरारी दास ने ‘मानचरित्र‘ की रचना की थी तथा पुण्डरीक विट्ठल ने रागचन्द्रोदय, रागमंजरी, नर्तन निर्णय आदि प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की।
- बिहार की सूबेदारी के समय मानसिंह ने रोहतासगढ़ में भव्य महल बनवाए, बिहार में मानपुर नगर तथा बंगाल में अकबर नगर (राजमहल) की स्थापना की।
- 1592 ई. में राजा मानसिंह ने आमेर के भव्य महलों का निर्माण करवाया।
महाराणा प्रताप और मानसिंह –
- बादशाह अकबर द्वारा महाराणा प्रताप को अपनी अधीनता स्वीकार करने की संधि करने हेतु जलाल खाँ कोरची के बाद जून, 1573 में कुँवर मानसिंह को भेजा।
- कुँवर मानसिंह महाराणा प्रताप को संधि के लिए राजी करने में असफल रहे।
हल्दीघाटी का युद्ध और मानसिंह (Aamer Ke Raja Maansingh) –
- महाराणा प्रताप को संधि करने हेतु राजी करने के सभी प्रयासों के विफल हुआ।
- सम्राट अकबर ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध कुँवर मानसिंह के नेतृत्व में विशाल शाही सेना को 3 अप्रैल, 1576 को अजमेर से मेवाड़ के लिए रवाना किया।
- मानसिंह शाही सेना के साथ जून, 1576 तक मांडलगढ़ में डेरा डाले रहे।
- उसके पश्चात मुगल सेना खमनोर पहुँची।
- जहाँ हल्दीघाटी के पास ‘रक्ततलाई‘ में 18 जून, 1576 को प्रसिद्ध हल्दीघाटी का युद्ध हुआ।
- इस युद्ध में कुँवर मानसिंह के नेतृत्व वाली मुगल सेना विजयी हुई।
मानसिंह के विजयी अभियान –
काबुल विजय –
- काबुल में मिर्जा हकीम खाँ के विद्रोह को दबाने के लिए बादशाह अकबर ने मानसिंह व उनके पिता भगवन्तदास के नेतृत्व में सेना भेजी।
- जून, 1581 में बादशाह अकबर भी काबुल पहुँचे तथा काबुल विजय की।
- इस विजय से अकबर ने मानसिंह से प्रसन्न होकर सिंधु नदी के तट की सुरक्षा का जिम्मा उन्हें सौंपा।
- 1585 में मानसिंह को काबुल का सूबेदार नियुक्त किया।
- काबुल में मानसिंह ने रेशनाइयों के विद्रोहों को समूल नष्ट किया।
बिहार की सुबेदारी –
- दिसम्बर, 1587 में बादशाह अकबर द्वारा मानसिंह को बिहार की सूबेदारी दी गई।
- सूबेदार के रूप में मानसिंह ने गिध गौर के राजा पूरनमल को हराया।
- इनके द्वारा अन्य विद्रोहों का सफलतापूर्वक दमन कर बिहार में शांति स्थापित की।
उड़ीसा विजय –
- मानसिंह ने 1592 ई. में उडीसा के अफमान शासक नासिर खाँ को पराजित कर उड़ीसा को मुगल साम्राज्य का अंग बनाया।
- अकबर ने इस विजय के बाद मानसिंह को बिहार के अतिरिक्त बंगाल का सूबेदार भी बनाया।
बंगाल की सूबेदारी –
- बंगाल की सूबेदारी के दौरान राजा मानसिंह ने कूचबिहार के शासक राजा लक्ष्मीनारायण तथा पूर्वी बंगाल के राजा केदार को पराजित कर मुगल शासन के अधीन किया।
- राजा केदार से वे 1604 ई. में शिलामाता की मूर्ति लाये तथा उसे आमेर के महलों में प्रतिष्ठित किया।
- 1605 ई. तक मानसिंह बंगाल व बिहार के सूबेदार रहे।
- अकबर ने अपनी मृत्यु से कुछ समय पूर्व मानसिंह को 7 हजारी मनसब प्रदान किया।
- शाही दरबार में इतना उच्च पद उस समय तक किसी अन्य हिन्दू शासक को प्राप्त नहीं था।
अहमदनगर अभियान –
- अकबर की मृत्यु के बाद सम्राट जहाँगीर से मानसिंह के संबंध उतने अच्छे नहीं रहे।
- 1611 ई. में मानसिंह को सम्राट जहाँगीर द्वारा दक्षिण में अहमदनगर अभियान पर भेजा गया।
- दक्षिण में रहते हुए एलिचपुर में 6 जुलाई, 1614 को राजा मानसिंह की मृत्यु हो गई।
FAQ :
ANS. मानसिंह का जन्म 2 दिसम्बर, 1550 ई. को ग्राम मौजमाबाद में हुआ था।
ANS. बादशाह अकबर द्वारा महाराणा प्रताप को अपनी अधीनता स्वीकार करने की संधि करने हेतु जलाल खाँ कोरची के बाद जून, 1573 में कुँवर मानसिंह को भेजा।
ANS. हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की शाही सेना नेतृत्व राजा मानसिंह के द्वारा किया गया था |
ANS. अकबर के द्वारा मान सिंह को सात हजारी मनसब प्रदान किया गया था |
ANS. मान सिंह की मृत्यु अहमदनगर अभियान के दौरान दक्षिण के ऐलिचपुरा में रहते हुए 6 जुलाई, 1614 को हुई थी |
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