Rajasthan History : महाराजा रामसिंह द्वितीय | Maharaja Ramsingh Dwitiya – इस भाग में आपको सवाई प्रताप सिंह, Maharaja Ramsingh Dwitiya और महाराजा माधोसिंह-द्वितीय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी |
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सवाई प्रताप सिंह –
- महाराजा पृथ्वीसिंह की मृत्यु होने पर उनके छोटे भाई प्रतापसिंह ने 1778 ई. में जयपुर का शासन संभाला।
- इनके समय में अंग्रेज सेनापति जॉर्ज थॉमस ने जयपुर पर आक्रमण किया।
- मराठा सेनापति महादजी सिंधिया को भी जयुपर राज्य की सेना ने जोधपुर नरेश महाराणा विजयसिंह के सहयोग से जुलाई, 1757 में तुंगा के मैदान में बुरी तरह पराजित किया।
- ये जीवन भर युद्धों में उलझे रहे फिर भी इनके काल में कला एवं साहित्य में अत्यधिक उन्नति हुई।
- वे विद्वानों एवं संगीतज्ञों के आश्रयदाता होने के साथ-साथ स्वयं भी ‘ब्रजनिधि‘ नाम से काव्य रचना करते थे।
- उन्होंने जयपुर में एक संगीत सम्मेलन करवाकर ‘राधागोविंद संगीत सार‘ ग्रन्थ की रचना करवाई।
- प्रतापसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जगतसिंह द्वितीय गद्दी पर बैठे।
- इनके समय जयपुर राज्य एवं जोधपुर महाराजा मानसिंह के मध्य मेवाड़ के महाराणा भीमसिंह की पुत्री कृष्णाकुमारी के विवाह को लेकर विवाद हुआ।
- जिसमें जयपुर की सेना ने जोधपुर की सेना को मार्च, 1807 में गंगोली के निकट युद्ध में हराया।
- अंत में कृष्णाकुमारी के जहर खाकर मर जाने के बाद ही विवाद समाप्त हुआ।
- 1818 ई. में मराठों एवं पिंडारियों से राज्य को रक्षा करने हेतु जगतसिंह द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि कर राज्य की सुरक्षा का भार कम्पनी पर डाल दिया।
- 21 दिसम्बर, 1818 ई. को जगतसिंह द्वितीय का देहान्त हो गया।
- उनके बाद उनके नाबालिग पुत्र जयसिंह तृतीय गद्दी पर बैठे।
- 1835 ई. में इनका भी देहान्त हो गया।
- तब इनके 16 माह के पुत्र रामसिंह-द्वितीय जयपुर के राजा बने।
महाराजा रामसिंह-द्वितीय (Maharaja Ramsingh Dwitiya) –
- महाराजा रामसिंह को नाबालिग होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने अपने संरक्षण में ले लिया।
- इनके समय मेजर जॉन लुडलो ने जनवरी, 1843 ई. में जयपुर का प्रशासन संभाला तथा उन्होंने सतीप्रथा, दास प्रथा एवं कन्या वध, दहेज प्रथा पर रोक लगाने के आदेश जारी किये।
- महाराजा रामसिंह को वयस्क होने के बाद शासन के समस्त अधिकार दिये गये।
- 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में महाराजा रामसिंह ने अंग्रेजों की भरपूर सहायता की।
- अंग्रेजी सरकार ने इन्हें ‘सितार-ए-हिन्द‘ की उपाधि प्रदान की।
- 1870 ई. में गवर्नर जनरल एवं वायसराय लॉर्ड मेयो ने जयपुर एवं अजमेर की यात्रा की।
- दिसम्बर, 1875 ई. में गवर्नर जनरल लार्ड नार्थब्रुक तथा फरवरी, 1876 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स प्रिंस अल्बर्ट ने जयपुर की यात्रा की।
- उनकी यात्रा की स्मृति में जयपुर में ‘अल्बर्ट हॉल‘ (म्यूजियम) का शिलान्यास प्रिंस अल्बर्ट के हाथों करवाया गया।
- इनके समय सन् 1845 में जयपुर में महाराजा कॉलेज तथा संस्कृत कॉलेज का निर्माण हुआ।
- 1880 ई. में इनका निधन हो गया।
महाराजा माधोसिंह-द्वितीय (Maharaja Ramsingh Dwitiya) –
- सवाई रामसिंह के नि:संतान मर जाने से उनके गोद लिए हुए श्री माधोसिंह जी-द्वितीय जयपुर के सिंहासन पर बैठे।
- ये 1902 ई. में ब्रिटिश सम्राट के राज्याभिषेक समारोह में शामिल होने इंग्लैण्ड गये।
- माधोसिंह जी ने पंडित मदनमोहन मालवीय का जयपुर में भव्य स्वागत कर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए 5 लाख रुपये दिये थे।
- 1922 ई. में इनकी मृत्यु हो गई।
- इसके पश्चात इनके दत्तक पुत्र महाराजा मानसिंह-द्वितीय जयपुर की गद्दी पर आसीन हुए।
- जो स्वतंत्रता प्राप्ति तक यहाँ के शासक रहे।
- ये जयपुर के अंतिम महाराजा थे।
- 30 मार्च, 1949 को वृहत्त् राजस्थान के गठन के बाद इन्हें राज्य का प्रथम राजप्रमुख बनाया गया।
- इस पद पर इन्होंने 1 नवम्बर, 1956 को राज्यपाल की नियुक्ति तक कार्य किया।
FAQ :
ANS. प्रतापसिंह के समय में अंग्रेज सेनापति जॉर्ज थॉमस ने जयपुर पर आक्रमण किया।
ANS. सवाई प्रतापसिंह ब्रजनिधि के नाम से काव्य रचना करते थे|
ANS. महाराजा रामसिंह द्वितीय के समय मेजर जॉन लुडलो ने जनवरी, 1843 ई. में जयपुर का प्रशासन संभाला तथा उन्होंने सतीप्रथा, दास प्रथा एवं कन्या वध, दहेज प्रथा पर रोक लगाने के आदेश जारी किये।
ANS. अंग्रेजी सरकार ने महाराजा रामसिंह द्वितीय को ‘सितार-ए-हिन्द’ की उपाधि दी थी |
ANS. ब्रिटिश सम्राट के राज्याभिषेक समारोह में शामिल होने के लिए जयपुर के महाराजा माधोसिंह द्वितीय इंग्लैंड गए थे|
ANS. जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वितीय को राजस्थान राज्य का प्रथम राज प्रमुख बनाया गया था |
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