Rajasthan History : महाराणा कुम्भा | Maharana Kumbha

Share with friends

Rajasthan History : महाराणा कुम्भा | Maharana Kumbha – इस भाग में महाराणा कुम्भा के बारे में जैसे की – उनके द्वारा बनवाये गये दुर्ग, साहित्य प्रेम, वास्तु कला, संगीत कला तथा युद्धों आदि की विस्तृत जानकारी मिलेगी |


महाराणा कुम्भा ( Maharana Kumbha ) –

  • महाराणा मोकल की हत्या होने के बाद महाराणा कुम्भा सन् 1433 में चित्तोड़ के शासक बने |
  • कुम्भा को हिन्दू सुरत्राण तथा अभिनव भरताचार्य कहा जाता है |
  • इनके शासन काल में मेवाड का मांडू के सुल्तान महमूद से सन् 1437 में सारंगपुर के पास घोर युद्ध हुआ, जिसमे कुम्भा विजयी हुए |
  • इस युद्ध का प्रमुख कारण कुम्भा का चाचा के लडके महपा पंवार तथा एक्का की मांग करना था |

कीर्तिस्तंभ –

  • इस विजय के उपलक्ष में कुम्भा ने अपने उपास्य देव विष्णु के निर्मित चित्तोड़ के किले में विशाल विजयस्तम्भ ( कीर्तिस्तम्भ ) बनवाया |
  • यह कीर्तिस्तम्भ 1440 ई. में बनवाना शुरू किया जो 1448 ई. में बनकर पूर्ण हुआ |
  • इस की उंचाई 120 फीट है तथा इसमें 9 मंजिल है |
  • सम्पूर्ण विजयस्तम्भ हिन्दू देवी-देवताओं की अद्वितीय मूर्तियों एंव हिन्दू शैली के अलंकरण से सुशोभित है|
  • इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश कहा जाता है |
  • यह स्तम्भ निर्माणकर्ता व सूत्रधार जेता और उसके पुत्र नापा, पोमा व पूंजा की देखरेख में बनवाया गया था |
  • कीर्तिस्तम्भ प्रशस्ति के रचयिता कवि अत्री थे, लेकिन इनका निधन होने के कारण इस प्रशस्ति को उनके पुत्र कवि महेश ने पूर्ण किया था |

महाराणा कुम्भा ( Maharana Kumbha ) के शिल्प कार्य –

  • कुम्भा शिल्पशास्त्र के ज्ञाता होने के साथ साथ शिल्प कार्यों के भी बड़े प्रेमी थे |
  • इन्होने मेवाड में 32 किलों, अनेक मंदिर व जलाशय का निर्माण करवाया |
  • कुम्भा ने चित्तोड़ दुर्ग में 1448 ई. में कुम्भश्याम मंदिर, आदिवराह मंदिर, 1458 ई. में कुम्भलगढ़ दुर्ग, कुम्भस्वामी मंदिर आदि का निर्माण करवाया |
  • इन्होने ही एकलिंग जी के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था |
  • 1452 ई. में अचलगढ़ दुर्ग की प्रतिष्ठा की व अचलेश्वर के पास कुम्भस्वामी मंदिर का निर्माण करवाया |
  • बसंतपुर ( सिरोही ) जो की उजड़ गया था, इन्होने उसे वापिस बसाया और वहां विष्णु के निमित्त 7 जलाशयों का निर्माण कराया | ( Maharana Kumbha )
  • कुम्भलगढ़ के दुर्ग का प्रमुख शिल्पी मंडन था |
  • दुर्ग के भीतर कुम्भा ने कटारगढ़ बनवाया जो कुम्भा का निवास स्थान था |
  • कुम्भलगढ़ प्रशस्ति का रचयिता भी कवि महेश ही था |
  • महाराणा कुम्भा के काल में रणकपुर के जैन मंदिरों का निर्माण 1439 ई. में एक जैनश्रेष्ठी धनरक ने करवाया था |
  • रणकपुर के चौमुखा मंदिर का निर्माण देपाक नामक शिल्पी के निर्देशन में हुआ |

महाराणा कुम्भा द्वारा रचित विभिन्न ग्रन्थ ( Maharana Kumbha ) –

  • महाराणा कुम्भा जैसे वीर और युद्ध कुशल थे, वैसे ही पूर्ण विद्यानुरागी , स्वंय बड़े विद्वान और विद्वानों का सम्मान करने वाले थे |
  • संगीतराज –
    • कुम्भा द्वारा रचित सभी ग्रंथों में से सबसे बड़ा, सर्वश्रेष्ठ, सिरमौर ग्रन्थ है |
    • भारतीय संगीत की गीत- वाद्य-नृत्य, तीनों विधाओं का गुढतम विशद् शास्तरोक्त समावेश इस महाग्रंथ में हुआ है |
  • रसिकप्रिया –
    • गीत गोविन्द की टिका ‘रसिक प्रिया’ में प्रथम बाद गीतगोविन्द के प्रत्येक पद की गई जाने वाली राग- रागनियों को कुम्भा द्वारा निश्चित किया गया है |
  • सूड प्रबंध –
    • इस रचना में गीत-गोविन्द के पदों का राग व ताल सम्बन्धी विवरण तथा कुम्भा के राज्याश्रित संगीतकार सहित अनेक संगीत के पूर्व आच्र्यों का नामोल्लेख है |
  • कामराजरतिसार –
    • यह ग्रन्थ कुम्भा के कामशास्त्र विशारद होने के परिचायक ग्रन्थ है |
  • अन्य ग्रन्थ –
    • संगीत मीमांसा, संगीतक्रम दीपिका, नवीन गीत गोविन्द, वाद्य प्रबंध, संगीत सुधा, हरिवार्तिक, चंडीशतक टीका, संगीत रत्नाकार टीका आदि |

महाराणा कुम्भा के आश्रित विद्वान कवि ( Maharana Kumbha ) –

  • श्री सारंग व्यास –
    • कुम्भा के संगीत गुरू |
  • श्री कान्हा व्यास
    • कुम्भा के सर्वश्रेष्ठ दरबारी कवि, संगीतशास्त्र के ज्ञाता व ‘एकलिंगमहात्म्य’ के रचनाकार |
  • रमाबाई –
    • महाराणा कुम्भा की पुत्री, जो संगीतशास्त्र की ज्ञाता थी |
  • अत्री भट्ट –
    • ये संस्कृत के विद्वान् और महाकवि थे |
    • इन्होने कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति की रचना प्रारम्भ की थी जिसे उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र महेश भट्ट ने पूर्ण किया था |
  • महेश भट्ट –
    • ये कवि अत्री के पुत्र थे, जिन्होंने कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति के शेष भाग को पूर्ण किया था |
  • मंडन –
    • ये खेता ब्राह्मण के पुत्र तथा शिल्प शास्त्र के ज्ञाता थे |
    • इनके द्वारा रचित ग्रन्थ निम्न है –
    • प्रासाद मंडन – इस ग्रन्थ में देवालय निर्माण कला का विस्तृत वर्णन है |
    • राजवल्लभ मंडन – इस ग्रन्थ में सामान्य नागरिकों के आवसीय गृहों से लेकर राजप्रासाद एंव नगर रचना का विस्तृत वर्णन है |
    • रूप मंडन – यह मूर्ति कला विषयक ग्रन्थ है |
    • देवतामूर्ति प्रकरण ( रुपावतार ) – इस ग्रन्थ में मूर्ति निर्माण और प्रतिमा स्थपाना के साथ ही प्रयुक्त होने वाले विभिन्न उपकरणों का विवरण दिया गया है |
    • वास्तु मंडन – वस्तुकला का सविस्तार वर्णन है |
    • वास्तुसार – इसमें वास्तु कला सम्बन्धी दुर्ग, भवन और नगर निर्माण सम्बन्धी वर्णन है | साथ ही कीर्तिस्तम्भ, कुआं, तालाब और राजप्रासाद सम्बन्धी विवरण भी है |
    • कोदण्ड मंडन – यह ग्रन्थ धनुर्विद्या सम्बन्धी है |
    • शाकुन मंडन – इसमें शकुन और अपशकुनों का वर्णन है |
    • वैद्य मंडन – इसमें विभिन्न व्याधियों के लक्षण और उनके निदान के उपाय बताये गये है |
  • कुम्भाकालीन जैन आचार्य –
    • विद्यानुरागी कुम्भा धार्मिक दृष्टि से बड़े उदार शासक थे |
    • यही कारण है की कुम्भा के शासन काल में वैष्णव और शैव साहित्य के साथ ही प्रतिष्ठित जैन आचार्यों द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रचुर मात्र में जीना साहित्य सृजित किया गया था |
    • कुम्भाकालीन प्रसिद्ध जैनाचार्यों में सोमसुन्दर सुरि, जयशेखर सुरि, भुवन कीर्ति एंव सोमदेव प्रमुख थे |

चाम्पानेर की संधि –

  • मालवा के सुलतान महम्मूद खिलजी और गुजरात के सुल्तान कुतुबुद्दीन ने महाराणा कुम्भा को हराकर उसका मुल्क आपस में बांटने के लिए उस पर एक साथ मिलकर आक्रमण करने हेतु चंपानेर में एक संधि की, जिसे चंपानेर की संधि कहते है |
  • यह संधि वर्ष 1456 ई. में की गई थी |
  • दुसरे वर्ष 1457 ई. में सुलतान कुतुबुद्दीन तथा सुल्तान मामुद खिलजी ने मेवाड़ पर आक्रमण किया लेकिन वे महाराणा कुम्भा को नहीं हरा पाये |

सन् 1468 में कुम्भा की उसके पुत्र उदा ने कटारगढ़ मे उनकी हत्या कर दी और खुद गद्दी पर बैठ गया |

WhatsApp Channel Join Now

Telegram Group Join Now

FAQ :

1. भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष किसे कहा जाता है ?

ANS. कीर्तिस्तम्भ को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश कहा जाता है |

2. कुम्भलगढ़ के दुर्ग का प्रमुख शिल्पी कौन था ?

ANS. कुम्भलगढ़ के दुर्ग का प्रमुख शिल्पी मंडन था |

3. कीर्तिस्तम्भ ( विजयस्तम्भ ) किस याद में बनाया गया था ?

ANS. सारंगपुर विजय के उपलक्ष में कुम्भा ने अपने उपास्य देव विष्णु के निर्मित चित्तोड़ के किले में विशाल विजयस्तम्भ ( कीर्तिस्तम्भ ) बनवाया |

4. चाम्पानेर की संधि किन किन के बीच में हुई थी ?

ANS. मालवा के सुलतान महम्मूद खिलजी और गुजरात के सुल्तान कुतुबुद्दीन ने महाराणा कुम्भा को हराकर उसका मुल्क आपस में बांटने के लिए उस पर एक साथ मिलकर आक्रमण करने हेतु चंपानेर में एक संधि की, जिसे चंपानेर की संधि कहते है |

5. महाराणा कुभा द्वारा रचित गर्न्थों कौन-कौन से हैं ?

ANS. संगीतराज, रसिकप्रिया, सूड प्रबंध, कामराजरतिसार, संगीत मीमांसा,संगीतक्रम दीपिका, नवीन गीत गोविन्द, वाद्य प्रबंध, संगीत सुधा, हरिवार्तिक, चंडीशतक टीका और संगीत रत्नाकार टीका आदि ग्रन्थों की रचना महाराणा कुम्भा ने की थी |

Read Also :

Leave a Comment