Rajasthan History : राठौड़ वंश | Rathoud Vansh – इस भाग में आपको राठौड़ वंश के राव चुंडा, राव जोधा और राव मालदेव के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी |
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राठौड़ वंश ( Rathoud Vansh ) –
- मुहणोत नैणसी ने इनको कन्नौज शासक जयचन्द गहड़वाल का वंशज माना है।
- इस मत का समर्थन दयालदास की बीकानेर रा राठौड़ाँ री ख्यात, जोधपुर की ख्यात, पृथ्वीराज रासो आदि में किया गया है।
- पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा इन्हें बदायूँ के राठौड़ों का वंशज मानते हैं।
- कुछ इतिहासकार इन्हें दक्षिण के राष्ट्रकूटों से उत्पन्न मानते हैं, परंतु अधिकांश इतिहासकार मुहणोत नैणसी के मत के पक्षधर हैं। Rathoud Vansh
- जयचन्द्र के पौत्र सीहाजी अपने कुछ राठौड़ सरादारों के साथ 13वीं सदी में राजस्थान आ गये और पाली के उत्तर-पश्चिम में अपना छोटा सा राज्य स्थापित किया।
- सीहा के उत्तराधिकारियों ने धीरे-धीरे अपने राज्य का विस्तार किया।
- राव सीहा मारवाड़ के राठौड़ वंश के संस्थापक एवं आदि पुरुष थे।
राव चूंडा ( Rathoud Vansh ) –
- सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र राव चूंडा इस वंश का प्रथम प्रतापी शासक था |
- इस ने मांडू के सूबेदार से मंडोर दुर्ग छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
- इन्होने राज्य विस्तार नाडौल, डीडवाना, नागौर आदि क्षेत्रों तक कर लिया।
- राव चूंडा द्वारा अपने ज्येष्ठ पुत्र को अपना उत्तराधिकारी न बनाये जाने पर उनका ज्येष्ठ पुत्र रणमल मेवाड़ नरेश महाराणा लाखा की सेवा में चला गया।
- वहाँ उसने अपनी बहन हंसाबाई का विवाह राणा लाखा से इस शर्त पर किया कि उससे उत्पन्न पुत्र ही मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनेगा।
- कुछ समय पश्चात् रणमल ने मेवाड़ की सेना लेकर मंडोर पर आक्रमण किया और सन् 1426. में उसे अपने अधिकार में ले लिया।
- महाराणा लाखा के बाद उनके पुत्र मोकल तथा उनके बाद महाराणा कुंभा के अल्पवयस्क काल तक मेवाड़ के शासन की देखरेख रणमल के हाथों में ही रही।
- कुछ सरदारों के बहकावे में आकर महाराणा कुंभा ने सन् 1438 ई. में रणमल की हत्या करवा दी।
राव जोधा –
- अपने पिता रणमल की हत्या हो जाने के तुरंत बाद उनके पुत्र राव जोधा चुपचाप मेवाड़ से निकल भागे |
- मेवाड़ की सेना ने स्व. महाराणा मोकल के ज्येष्ठ भ्राता रावत चूंडा के नेतृत्व में उनका पीछा किया और मंडोर के किले पर मेवाड़ का अधिकार कर लिया।
- राव जोधा ने सन् 1453 ई. में पुनः मंडोर एवं आसपास के क्षेत्र पर अपना अधिकार में कर लिया।
- सन् 1459 में राव जोधा ने चिड़ियाटुंक पहाड़ी पर जोधपुर दुर्ग ( मेहरानगढ़ ) का निर्माण करवाया और इसके पास वर्तमान जोधपुर शहर बसाया।
- उनके समय जोधपुर राज्य का अत्यधिक विस्तार हो चुका था।
- 1489 में राव ‘जोधा की मृत्यु हो गई।
राव मालदेव ( Rathoud Vansh ) –
- पिता राव गांगाजी की मृत्यु के बाद राव मालदेव 5 जून, 1531 को जोधपुर की गद्दी पर बैठे।
- उनका राज्याभिषेक सोजत में सम्पन्न हुआ।
- उस समय दिल्ली पर मुगल बादशाह हुमायूँ का शासन था।
- राव मालदेव राठौड़ वंश. के प्रसिद्ध व प्रतापी शासक हुए।
- इन्होने अपने राज्य का विस्तार करके नागौर, अजमेर, सिवाना, जालौर एवं बीकानेर आदि को अपने राज्य में मिला लिया।
- सन् 1541 में बीकानेर नरेश राव जैतसी को हरा बीकानेर पर अधिकार कर लिया।
- जैसलमेर के शासक रावल लूणकरण की पुत्री उमादे से इनका विवाह हुआ जो विवाह की पहली रात से ही अपने पति से रूठ गई।
- वो आजीवन ‘रूठी रानी’ के नाम से प्रसिद्ध रही और तारागढ़ दुर्ग, अजमेर में अपना जीवन गुजारा।
- राव मालदेव ने मेवाड़ में दासी पुत्र बनवीर को हटाकर महाराणा उदयसिंह को सिंहासन पर बिठाने मे पूरी सहायता प्रदान की। Rathoud Vansh
- मुगल बादशाह हुमायूँ शेरशाह सूरी से हारने के बाद इनकी सहायता लेने के उद्देश्य से 1542 ई. में मारवाड़ आया था।
- राव मालदेव ने उसका उचित सत्कार कर सहायता का वचन दिया परंतु बाद में हुमायूँ अमरकोट की तरफ चला गया।
- 7 नवम्बर, 1562 को मालदेव की मृत्यु हो गयी |
- मालदेव ने पोकरण का किला, मालकोट किला ( मेड़ता ), सोजत, सारण, रियाँ आदि का निर्माण करवाया |
गिरी-सुमेल युद्ध –
- 1543 ई. में दिल्ली के अफगान बादशाह शेरशाह सूरी ने मालदेव पर चढ़ाई की।
- जैतारण (जिला पाली) के निकट गिरि-सुमेल नामक स्थान पर जनवरी, 1544 में दोनों की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें शेरशाह सूरी की बड़ी कठिनाई से विजयी हुआ। Rathoud Vansh
- तब शेरशाह सुरी ने कहा कि “मुट्ठी भर बाजरी के लिए मैंने हिन्दुस्तान की बादशाहत खो दी होती।”
- गिरी सुमेल युद्ध में मालदेव के सबसे विश्वसस्त वीर सेनानायक जैता एवं कँपा मारे गए थे।
- इसके बाद शेरशाह ने जोधपुर के दुर्ग पर आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया तथा वहां का प्रबंध खवास खां को दे दिया |
- मालदेव ने कुछ समय बाद पुन: अपने पुरे क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया |
FAQ ( Rathoud Vansh ) :
ANS. जैसलमेर के शासक रावल लूणकरण की पुत्री उमादे | राव मालदेव की पत्नी उमादे |
ANS. शेरशाह सुरी ने कहा कि “मुट्ठी भर बाजरी के लिए मैंने हिन्दुस्तान की बादशाहत खो दी होती।”
ANS. सन् 1459 में राव जोधा ने चिड़ियाटुंक पहाड़ी पर जोधपुर दुर्ग ( मेहरानगढ़) का निर्माण करवाया |
ANS. राव सीहा को मारवाड़ के राठौड़ वंश का संस्थापक माना जाता है |
ANS. मुहणोत नैणसी ने इनको कन्नौज शासक जयचन्द गहड़वाल का वंशज माना है। इस मत का समर्थन दयालदास की बीकानेर रा राठौड़ाँ री ख्यात, जोधपुर की ख्यात, पृथ्वीराज रासो आदि में किया गया है। पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा इन्हें बदायूँ के राठौड़ों का वंशज मानते हैं। कुछ इतिहासकार इन्हें दक्षिण के राष्ट्रकूटों से उत्पन्न मानते हैं, परंतु अधिकांश इतिहासकार मुहणोत नैणसी के मत के पक्षधर हैं।
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