आगमन निगमन विधि | भाषा शिक्षण की सबसे महत्तवपूर्ण विधि

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आगमन निगमन विधि | भाषा शिक्षण की सबसे महत्तवपूर्ण विधि : – इस भाग में भाषा शिक्षण में सबसे महत्तवपूर्ण मानी जाने वाली Aagman Nigman Vidhi का वर्णन विस्तारपूर्वक दिया गया है। वैसे तो ये विधियाँ आगमन और निगमन एक दुसरे की विपरीत विधियाँ है परन्तु इनको एक साथ ही उपयोग में लिया जाता है। यहाँ इन विधियों के गुणों और दोषों का भी वर्णन मिलेगा।


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आगमन निगमन विधि ( Aagman Nigman Vidhi )

  • भाषा शिक्षण की सर्वोत्तम विधि है।
  • सामान्यता आगमन निगमन की प्रकृति बिल्कुल विपरीत होती है।
  • परंतु आगमन व निगमन को भाषा विज्ञान समझते समय एक साथ उपयोग में लाया जाता है।
  • जहां आगमन के द्वारा विज्ञान के सिद्धांत व नियमों का निर्माण किया जाता है वहीं पर निगमन के द्वारा पहले से बन चुके नियम व सिद्धांतों को उपयोग में लाते हैं।
  • आगमन वह उपागम है जो एक लंबे समय के बाद निष्कर्ष तक पहुंचता है वहीं पर निगमन एक ऐसा विचार है जो न्यूनतम समय में परिणाम प्रदान करता है।

आगमन विधि Aagman Nigman Vidhi

  • जब एक शिक्षक किसी उदाहरण के सहयोग से विषय वस्तु को स्पष्ट करते हुए किसी नियम तक पहुंचता है।
  • तो वह सकारात्मक सूत्रों का सहयोग लेता है इसे ही आगमन उपागम कहते हैं।
  • इस उपागम में ज्ञात से अज्ञात, विशिष्ट से सामान्य, स्थूल से सूक्ष्म तथा विश्लेषण से संश्लेषण सूत्रों का उपयोग किया जाता है।
  • आगमन भाषा विज्ञान की महत्वपूर्ण विधि होती है।

आगमन विधि के गुण Aagman Nigman Vidhi

  • मनोवैज्ञानिक विधि है।
  • स्थाई ज्ञान प्रदान करती है।
  • बालकों में तर्क व चिंतन का विकास करती है।
  • समस्या समाधान के गुणों का विकास करती है।
  • प्रारंभिक कक्षाओं के बालकों के लिए विशेष रुचिकर है।

आगमन विधि के दोष Aagman Nigman Vidhi

  • समय अधिक खर्च होता है।
  • पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पाता।
  • प्रतिभाशाली एवं उच्च कक्षा के बालकों में नीरसता पैदा होती है।

निगमन विधि

  • जब एक शिक्षक शिक्षण कार्य करते समय पहले से स्थापित किसी नियम या सूत्र का उपयोग करते हुए किसी उदाहरणों को कम समय में स्पष्ट कर देता है तो वह निगमन उपागम होता है।
  • निगमन के समय नकारात्मक सूत्र प्रभावित रहते हैं।
  • जैसे अज्ञात से ज्ञात, सामान्य से विशि,ष्ट सूक्ष्म से स्थूल, संश्लेषण से विश्लेषण।

निगमन विधि के गुण

  • पाठ्यक्रम समय पर पूरा हो जाता है।
  • सुत्र या नियमों से व्याकरण का ज्ञान शीघ्रता से हो जाता है।
  • समस्या समाधान में समय कम खर्च होता है।
  • प्रतिभाशाली व उच्च कक्षाओं के बालकों की रुचिकर विधि है।

निगमन विधि के दोष

  • अमनोवैज्ञानिक विधि है।
  • ज्ञान अस्थाई होता है।
  • रटने के दोष पैदा होते हैं।
  • प्रारंभिक कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।

FAQ

1. आगमन विधि में किस प्रकार के शिक्षण सूत्र प्रयोग में आते है ?

ANS. सकारात्मक प्रकार के

2. निगमन विधि में किस प्रकार के शिक्षण सूत्र प्रयोग में आते है ?

ANS. नकारात्मक प्रकार के

3. उदहारण से नियम की तरफ किस विधि में पढ़ाया जाता है ?

ANS. आगमन विधि मे

4. नियम से उदाहरण की तरफ किस विधि में पढाया जाता है ?

ANS. निगमन विधि में

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