व्यक्तित्व | व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक

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व्यक्तित्व | व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक :- पिछले पोस्ट में आपने व्यक्तित्व के अर्थ, परिभाषा और विशेषताओं के बारे में पढ़ा इसमें आपको Factors Affecting Personality के बारे में पूर्णतया जानकारी मिलेगी। इस में व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारक के बारे में जानकारी प्राप्त।


व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले तत्व / कारक

जैविक कारक

  1. गल-ग्रन्थि (Thyroid Gland)-
    • गल-ग्रन्थि गर्दन के मूल में श्वास प्रणाली के सामने होती है।
    • इस ग्रन्थि के अधिक क्रियाशील होने पर व्यक्ति व्याकुल, चिंतित एवं उत्तेजित रहता है।
    • आवश्यकता से कम क्रियाशील होने पर व्यक्ति में मानसिक दुर्बलता आदि उत्पन्न होने लगती है।
  2. उप गल-ग्रन्थि (Perathyroid Gland) –
    • यह ग्रन्थि गल-ग्रन्थि के समीप है।
    • इस ग्रन्थि के आवश्यकता से अधिक क्रियाशील होने पर व्यक्ति शांत एवं मंद स्वभाव का हो जाता है, परन्तु कम क्रियाशील होने पर व्यक्ति अधिक उत्तेजित हो जाता है।
  3. पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland)-
    • यह ग्रन्थि मस्तिष्क में स्थित होती है, जो अन्य ग्रन्थियों के कार्य पर नियंत्रण रखती है।
    • इस ग्रन्थि के बाल्यकाल में सक्रिय हो जाने से व्यक्ति लम्बा हो जाता है, जिससे उसका स्वभाव आक्रामक एवं झगड़ालू हो जाता है।
    • यदि कम सक्रिय रहती है तो उसका शारीरिक विकास पूरी तरह नहीं हो पाता’ तथा उसके व्यक्तित्व में डरपोकपन व कायरता उत्पन्न होने लगती है।
  4. उप-वृक्क ग्रन्थि
    • इस ग्रन्थि के बाह्य व आंतरिक दो भाग होते हैं।
    • यदि इस ग्रन्थि का बाह्य भाग आवश्यकता से कम सक्रिय रहता है, तो व्यक्ति उदास, चिड़चिड़ा व कमजोर हो जाता है।
    • तथा सामर्जस्य स्थापित करने में असमर्थ रहता है व अधिक सक्रिय होने पर यह दोष उत्पन्न नहीं होते है।
    • यदि आंतरिक भाग आवश्यकता से कम सक्रिय रहता है तो वह संवेगात्मक सामजंस्य नहीं कर पाता है।
    • अधिक सक्रिय होने पर वह उत्तेजित हो जाता है।

सामाजिक कारक

  1. घर का वातावरण-
    • एक अच्छा पारिवारिक वाले घर में बच्चे का विकास अच्छा होता है।
    • इसके विपरीत अनुचित वातावरण वाले घर में अच्छा व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता।
    • जैसे-चोरी, डकैती, झगड़ा आदि।
  2. निर्धनता –
    • निर्धन माता-पिता अपने बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ रहते हैं।
    • जिसके कारण बच्चों में विभिन्न प्रकार की कुण्ठा पैदा हो जाती है व विभिन्न अवैध एवं अनैतिक साधनों का प्रयोग करते है।
  3. पारिवारिक संबंध –
    • परिवार के व्यक्ति यदि परिश्रमी, चरित्रवान वाले होते हैं, तो बच्चे पर इन गुणों का प्रभाव पड़ता है।
  4. घरों का बिखराव –
    • जिन माता-पिता के बीच रोज झगड़े होते हैं अथवा तलाक ले चुके है।
    • पृथक-पृथक रहते है या माता पिता दोनों जीवित न हो इसका भी प्रभाव पड़ता है।
  5. अनुशासन का अभाव –
    • कम या अधिक अनुशासन बालक के मस्तिष्क में द्वन्द्व पैदा करता है, जिससे बालक गैर-सामाजिक गतिविधियों की ओर चला जाता है।
  6. देख-रेख एवं लगाव का अभाव –
    • यदि बच्चे को उचित लगाव या प्रेम न दिया जाए, तो वे स्वयं को असुरक्षित महसूस करते है।
  7. विद्यालय का वातावरण
    • पाठ्यक्रम बाल-केन्द्रित, अनुभव केन्द्रित, क्रिया केन्द्रित एवं उपयोगिता पूर्ण होना चाहिये तभी बालक के व्यक्तित्व का विकास संभव है।
    • पुस्तकें एवं तस्वीरें।
    • सहगामी क्रियाये।
    • विद्यालय का वातावरण मधुर संबंध।

सांस्कृतिक कारक Factors Affecting Personality

  • बालक जिस प्रकार कि संस्कृति में पलता है, वह उसी प्रकार हो जाता है।
  • खान-पान, रहन-सहन, जीवन शैली आदि है।
  • इन पर प्रथा, परम्परा, नियम, मूल्य, रीतियाँ, कानून काफी प्रभाव डालते हैं।

FAQ Factors Affecting Personality

1. गल-ग्रन्थि के कम क्रियाशील होने से क्या होता है?

ANS. कम क्रियाशील होने पर व्यक्ति में मानसिक दुर्बलता आदि उत्पन्न होने लगती है।

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2. उप-वृक्क ग्रन्थि के कितने भाग होते है ?

ANS. इस ग्रन्थि के बाह्य व आंतरिक दो भाग होते हैं।

3. पीयूष ग्रन्थि कहाँ स्थित होती है ?

ANS. यह ग्रन्थि मस्तिष्क में स्थित होती है, जो अन्य ग्रन्थियों के कार्य पर नियंत्रण रखती है।

4. उप गल-ग्रन्थि के प्रभाव बताईये ?

ANS. इस ग्रन्थि के आवश्यकता से अधिक क्रियाशील होने पर व्यक्ति शांत एवं मंद स्वभाव का हो जाता है, परन्तु कम क्रियाशील होने पर व्यक्ति अधिक उत्तेजित हो जाता है।

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