REET 2022 | शिक्षण सिध्दांत और शिक्षण व्यूह रचना : – पिछले भाग में हमने शिक्षण विधिओं के बारे में तथा शिक्षण प्रक्रिया के बारे में पढ़ा, इसमें हम Shikshan Sidhdaant के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगें। इसमें हमने लगभग सभी प्रमुख शिक्षण के सिध्दांत तथा शिक्षण व्यूह रचना का विस्तार से वर्णन किया है।
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शिक्षण सिध्दांत
- शिक्षण के सिध्दांत का मतलब चलने के तरीके से भी लिया जाता है।
रुचि का सिद्धांत
- शिक्षण कार्य करते समय एक शिक्षक को बालकों की रूचि का ध्यान रखना चाहिए।
- विषय वस्तु के प्रति बालकों में जितनी अधिक रूचि होती है वह उतना ही ज्यादा सीखता है।
- बालक की सक्रिय रुचि उसके अधिगम की मात्रा को बढ़ाती है। ~~~~~~ विसेंट
- मानसिक रूप से तैयारी तत्परता होती है जो रुचि को जन्म देती है। ~~~~~~ वुडवर्थ
प्रेरणा का सिद्धांत
- कक्षा कक्षा वातावरण में अभिप्रेरणा का विशेष महत्व है एक श्रेष्ठ शिक्षक वह होता है।
- जो कक्षा कक्ष में सदैव प्रेरित वातावरण बनाए रखता है, क्योंकि बिना अभिप्रेरणा के अधिगम संभव नहीं है।
- अभिप्रेरणा अधिगम का सर्वोच्च राजमार्ग है। ~~~~~~ स्किनर
उद्देश्य पूर्ति का सिद्धांत ( Shikshan Sidhdaant )
- शिक्षण कार्य करते समय शिक्षक शिक्षार्थी दोनों को ही अपने अपने उद्देश्य का ज्ञान होना आवश्यक है।
- शिक्षक को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि वह किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षण कार्य कर रहा है।
- उस के विद्यार्थियों को इस बात का ज्ञान होना चाहिए वे जो सीख रहे हैं मैं कहां उपयोग में आने वाला है।
- बिना उद्देश्य के ज्ञान के एक शिक्षक उस नाविक के समान है जिसे अपनी मंजिल का पता नहीं है और उसके विद्यार्थी उस पतवार विहिन नाव के समान हैं जो लहरों के थपेड़े खाकर किसी भी किनारे से जा टकराएगी। ~~~~~~ बलदेव भाटिया
- शिक्षण कार्य एक उद्देश्य पूर्ण नैतिक किया है। ~~~~~~ रिवीलिंग
क्रियाशीलता का सिद्धांत ( Shikshan Sidhdaant )
- इस सिद्धांत के अनुसार शिक्षण कार्य के दौरान एक शिक्षक को चाहिए कि वह अपने बालकों को ज्यादा से ज्यादा क्रियाशील रखें।
- जॉन डीवी ने इस संदर्भ में एक सिद्धांत दिया था करके सीखो ( Learning By Doing ) जिसका उद्देश्य भी बालक को क्रियाशील बनाए रखना था।
नियोजन का सिद्धांत
- एक शिक्षक शिक्षण कार्य करने से पूर्व जब यह तय करता है कि उसे कितने समय में किस प्रकार से कौनसी विषय वस्तु को पढाएगा।
- उसके लिए वह हरबर्ट की पंचपदी के आधार पर पाठ योजना का निर्माण करता है।
- जिसमें क्रमशः इकाई वार्षिक और दैनिक पाठ योजना का निर्माण करता है।
पुनरावृति या आवर्ती का सिद्धांत
- शिक्षण कार्य करते समय एक शिक्षक को चाहिए कि वह विषय वस्तु की आवृत्ति या पुनरावृति करें जितनी अधिक आवृत्ति होगी बालक उतना ही अधिक समझने का प्रयास करेगा।
- बालक को भी बार-बार अभ्यास करने की सीख प्रदान करें।
- यह थार्नडाइक के नियम पर आधारित है।
विषय वस्तु चयन का सिद्धांत
- एक शिक्षक को शिक्षण कार्य करने से पूर्व उसे स्वंय अध्ययन करना चाहिए।
- विषय वस्तु को अपने मस्तिष्क में संगठित कर लेनी चाहिए।
- कक्षा में वह शिक्षक सफल होता है जो पढ़ाने जाने से पूर्व स्वय पढता है। ~~~~~~ अमेरिकी विद्वान डेविड आशु बेल
शिक्षण व्यूह रचना या रणनीति (Shikshan Sidhdaant )
- एक शिक्षक के द्वारा शिक्षण कार्य करने से पूर्व जो रणनीति तय की जाती है उसको शिक्षण व्यूह रचना कहते हैं।
- एक शिक्षक के द्वारा शिक्षण व्यूह रचना तैयार करने के लिए सभी उपागम का सकारात्मक रूप से नियोजन करना होता है यही शिक्षण व्यूह रचना है।
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