अधिगम : अधिगम के वक्र

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अधिगम : अधिगम के वक्र | REET 2022 : – आपने पिछले दो पोस्ट्स में अधिगम के अर्थ के बारे तथा अधिगम के प्रकार के बारे में पढ़ा इस में आप Adhigam Ke Vakra के बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगें।


अधिगम के वक्र ( Adhigam Ke Vakra )

  • व्यक्ति के द्वारा कितना अधिगम एक समय विशेष में किया जाता है।
  • वह किस प्रकार अधिगम ग्रहण करता है इन्हीं ग्रहण करने की विभिन्न स्थिति को अधिगम वक्र कहते है।
  • अधिगम सामान्यतः पहले पहले अधिक होता है लेकिन धीरे-धीरे कम होता जाता है।
  • चार्ल्स स्कीनर के अनुसार, ‘अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया में उन्नति या अवनति का ब्यौरा है।’
  • गेट्स तथा अन्य के अनुसार, ‘अधिगम का वक्र सीखने की क्रिया से होने वाली गति और प्रगति को व्यक्त करता है।’
  • अधिगम निम्न प्रकार का होता है –

सरल रेखीय/समान गति अधिगम

  • इस अधिगम में व्यक्ति द्वारा किये गये प्रयासों के आधार पर अधिगम की मात्रा में समानरूप से वृद्धि होती है जिसे सरल रेखीय अधिगम कहते है।

उन्नोदर / ऋणात्मक अधिगम ( Adhigam Ke Vakra )

  • इस अधिगम में तीन प्रकार की स्थिति होती है।
  • प्रारम्भ में अधिगम बढ़ात है एवं कुछ समय के बाद वह एक सरल रेखा में दिखाई देता है जिसे अधिगम का पठार कहते है।
  • इससे यह अनुभव किया जा सकता है की अधिक प्रयास करने पर भी अधिगम में वृद्धि नहीं होती एवं बाद में वह बिल्कुल ऋणात्मक हो जाता है इसलिए इसे ऋणात्मक अधिगम भी कहते है।
  • रैक्स एवं नाइट के अनुसार ‘सिखने में पठार तब आते है जब व्यक्ति सीखने की एक अवस्था पर पहुँच जाता है और दूसरी में प्रवेश करता है।’

नत्तोदर / धनात्मक

  • इस प्रकार के अधिगम में प्रारम्भ में धीरे धीरे अगिधम होता है परन्तु बाद में अधिगम अधिक तीव्र होने लगता इसलिए इसे सकारात्मक या धनात्मक अधिगम कहा जाता है।

मिश्रित / सर्पीला/S/ सीढ़ीदार अधिगम

  • इस प्रकार के अधिगम वक्र में प्रारम्भ में अधिगम बढ़ने लगता है लेकिन बाद में कम हो जाता है वापिस बढ़ जाता है वापिस कम हो जाता है। इसका आकार S की तरह होता है।

FAQ ( Adhigam Ke Vakra )

1. अधिगम वक्र किसे कहते हैं?

ANS. व्यक्ति के द्वारा कितना अधिगम एक समय विशेष में किया जाता है तथा वह किस प्रकार अधिगम ग्रहण करता है इन्हीं ग्रहण करने की विभिन्न स्थिति को अधिगम वक्र कहते है।

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2. चार्ल्स स्कीनर के अनुसार अधिगम वक्र क्या है ?

ANS. चार्ल्स स्कीनर के अनुसार, ‘अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया में उन्नति या अवनति का ब्यौरा है।’

3. ऋणात्मक अधिगम वक्र क्या होता है ?

ANS. अधिक प्रयास करने पर भी अधिगम में वृद्धि नहीं होती एवं बाद में वह बिल्कुल ऋणात्मक हो जाता है इसलिए इसे ऋणात्मक अधिगम भी कहते है।

4. अधिगम पठार किसे कहते है ?

ANS. प्रारम्भ में अधिगम बढ़ात है एवं कुछ समय के बाद वह एक सरल रेखा में दिखाई देता है जिसे अधिगम का पठार कहते है।

5. सीढ़ीदार अधिगम या मिश्रित अधिगम किसे कहते है ?

ANS. इस प्रकार के अधिगम वक्र में प्रारम्भ में अधिगम बढ़ने लगता है लेकिन बाद में कम हो जाता है वापिस बढ़ जाता है वापिस कम हो जाता है। इसका आकार S की तरह होता है।

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