बाल विकास शिक्षाशास्त्र | बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक : – इस भाग में Factors Affecting Child Development के बारे में जानकारी मिलेगी, जो की आपको परीक्षा में प्रश्नों को हल करने में आपको मदद करेगी। यहाँ बाल विकास को प्रभावित करने वाले वंशानुक्रम / जैविकीय कारक, परिवेश / वातारण/ पर्यावरण, पोषण, जन्म क्रम, आयु, बुद्धि तथा अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है।
सरकारी नौकरी भर्ती और सरकारी योजना की जानकारी प्राप्त करने के लिए निचे दिए बटन पर क्लिक करके , गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- बालक जब माँ के गर्भ में आता है तभी से बालक में वृद्धि एवं विकास को विभिन्न आंतरिक कारक ‘ आनुवांशिक गुण‘ (माता पिता से प्राप्त वंश परम्परा के गुण) तथा बाह्य कारक’ ‘वातावरणीय गुण‘ (गर्भ से बाहर आने के बाद समाज में रहते हुए प्राप्त गुण) अपना प्रभाव डालते है।
- इन कारकों का संक्षेप में वर्णन नीचे किया जा रहा है –
- वंशानुक्रम / जैविकीय कारक-
- बालक के विकास को प्रभावित करने वाला यह पहला प्रमुख कारक है।
- अपने पूर्वजों या माता पिता से गर्भाधान के समय बालक को जो गुण प्राप्त होते हैं उसे ‘वंशानुक्रम या आनुवांशिकता’ कहते हैं।
- प्राय: देखा जाता है कि जिसके माता पिता लम्बे होते हैं तो उनकी सामान्यतः सन्तानें भी लम्बी होती हैं।
- परिवेश / वातारण / पर्यावरण / पोषण-
- व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है वही उसका परिवेश/वातावरण/पर्यावरण है।
- बालक जिस परिवेश/वातावरण में निवास करता है वहाँ का सम्पूर्ण वातावरण बालक के विकास पर पूर्ण प्रभावशाली रहता है।
- ये आन्तरिक व बाह्य प्रकार के होते हैं।
- जन्म क्रम-
- बालक के विकास पर परिवार के जन्म-क्रम का प्रभाव पड़ता है।
- जैसे प्रथम बालक की अपेक्षा दूसरे व तीसरे बालक का विकास तीव्र गति से होता है क्योंकि बाद के बालक अपने पूर्व जन्में बालकों से अनुकरण द्वारा अनेक बातें शीघ्रता से ग्रहण कर लेते हैं।
- आयु-
- बालक में आयु वृद्धि के साथ-साथ शारीरिक विकास की गति एवं स्वरूप में भी परिवर्तन होते हैं।
- छोटे बच्चे का शरीर लचीला होता है धीरे-धीरे यह कठोर हो जाता है।
- साथ ही बालक का मानसिक विकास भी आयु से प्रभावित होता है।
- बुद्धि–
- कुशाग्र बुद्धि वाले छात्रों का शारीरिक व मानसिक विकास मन्द बुद्धि वाले छात्र के शारीरिक एवं मानसिक विकास की अपेक्षा तेज गति से होता है।
- कुशाग्र बुद्धि वाले बालक, मन्द बुद्धि वाले बालकों की अपेक्षा शीघ्र बोलने व चलने लगते हैं।
- अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ-
- बालक के शरीर में अनेक अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ होती हैं जिनमें से विशेष प्रकार के रस का स्राव होता है।
- यही रस बालक के विकास को प्रभावित करता है।
- यदि ये ग्रन्थियाँ इसका स्राव ठीक प्रकार से न करें तो बालक का विकास अवरूद्ध हो जायेगा।
- उदाहरणार्थ गल ग्रन्थि से स्रावित रस थाइराक्सिन बालक के कद को प्रभावित करता है।
- इसके स्रावित न होने पर बालक बौना रह जाता है।
- खेल एवं व्यायाम-
- नियमित खेल एवं व्यायाम बालक के शारीरिक विकास में सहायता देते हैं, शरीर व मस्तिष्क स्वस्थ रहता है।
- कहावत है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
- इस प्रकार शारीरिक व मानसिक विकास में खेल और व्यायाम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- लिंग-
- बालक के शारीरिक एवं मानसिक विकास में लिंग भेद का प्रभाव पड़ता है।
- जन्म के समय बालकों का आकार बड़ा होता है किन्तु बाद में बालिकाओं के शारीरिक विकास की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती है।
- इसी कारण बालिकाओं में मानसिक एवं यौन परिपक्वता बालकों से पहले आ जाती है।
- पोषण एवं कुपोषण-
- पोषण से अभिप्राय एक ऐसे भोजन से है जो संतुलित मात्रा में व्यक्ति के शरीर में विटामिन्स, प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट एवं खनिज लवणों की आपूर्ति करता है। Factors Affecting Child Development
- इसलिए, जिस प्रकार बाल विकास में बाह्य पर्यावरण की भूमिका है उसी प्रकार पोषण भी अपना विशेष महत्त्व रखता है।
- बालक को जब अच्छा पोषण मिलता है तो वह शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है।
- साथ ही उसके विकास की गति तेज होती है और यदि पोषण का अभाव रहता है तो उसके विकास की गति धीमी हो जाती है।
- कुपोषण से बालकों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरूद्ध हो जाता है।
- भयंकर रोग एवं चोट-
- भयंकर रोग एवं चोट बालक के विकास में बाधा डालते हैं।
- जैसे लम्बी बीमारियों एवं गम्भीर चोट के कारण बालक का विकास अवरूद्ध हो जाता है।
- प्रजाति –
- प्रजाति प्रभाव के कारण भी बालकों के विकास में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।
- जैसे उत्तरी यूरोप की अपेक्षा भूमध्यसागरीय बच्चों का विकास तेजी से होता है।
- शुद्ध वायु व प्रकाश-
- शुद्ध वायु व प्रकाश न मिलने पर बालक अनेक रोगों का शिकार बन जाता है।
- परिणामस्वरूप उनका विकास अवरूद्ध हो जाता है तथा जहाँ शुद्ध वायु व प्रकाश अच्छी तरह से मिलता है।
- तो वहाँ बालक का विकास अच्छी तरह से होता है।
- वंशानुक्रम / जैविकीय कारक-
FAQ :- Factors Affecting Child Development
ANS. अपने पूर्वजों या माता पिता से गर्भाधान के समय बालक को जो गुण प्राप्त होते हैं उसे ‘वंशानुक्रम या आनुवांशिकता’ कहते हैं।
ANS. प्रजाति प्रभाव के कारण भी बालकों के विकास में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।
जैसे उत्तरी यूरोप की अपेक्षा भूमध्यसागरीय बच्चों का विकास तेजी से होता है।
ANS. जन्म के समय बालकों का आकार बड़ा होता है किन्तु बाद में बालिकाओं के शारीरिक विकास की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती है।
ANS. गल ग्रन्थि से स्रावित रस थाइराक्सिन बालक के कद को प्रभावित करता है
हमारे चैनल और ग्रुप को भी ज्वाइन करें –
इनको भी पढ़ें :- Factors Affecting Child Development
- व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक
- व्यक्तित्व : अर्थ,परिभाषा और विशेषताएं
- REET 2022 का नोटिफिकेशन जारी जल्द करे आवेदन, योग्यता B.Ed. और BSTC
- REET 2022 Online Form Start : जानिये कैसे भरें ऑनलाइन फॉर्म और अन्य डिटेल
- Level-I Syllabus | REET 2022 First Paper New Syllabus
- REET 2022 Main Paper Syllabus | Reet Second Paper Syllabus 2022
- REET 2022 में इस प्रकार के आयेंगे बाल मनोविज्ञान के प्रश्न, अभी पढ़ ले ध्यान से।
- हिंदी के ये 30 महत्तवपूर्ण प्रश्न, REET 2022 में सफलता के लिये पढ़ लीजिये
- REET 2022 में आपके पास अगर संस्कृत है तो पढ़ ले ये 30 महत्तवपूर्ण प्रश्न
- REET 2022 की तैयारी कर रहें है तो पढ़ ले ये 30 प्रश्न
- बाल मनोविज्ञान के 30 महत्तवपूर्ण प्रश्न, जो पूछे जा चुके है पहले भी बहुत सी परीक्षाओं में !
- अधिगम(सीखना) के ये 30 प्रश्न पूछे जाते है लगभग प्रत्येक परीक्षा में
- तत्सम-तद्भव के 30 महत्त्वपूर्ण प्रश्न जो कर देंगे आपका ये टॉपिक तैयार
- वंशानुक्रम और वातावरण के इन्ही प्रश्नों से पूछे जायेंगें जुलाई की REET परीक्षा में
- Rajasthan GK Important Questions in Hindi
- राजस्थान का परिचय
- स्थिति और विस्तार
- राजस्थान के संभाग और जिले
- राजस्थान के भौतिक प्रदेश : उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय भाग
- अरावली पर्वतीय प्रदेश
- पूर्वी मैदानी भाग
- दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग
- राजस्थान के प्रमुख बाँध, झीलें और तालाब