ध्वन्यात्मक विधि और श्रुतिलेखन विधि | शिक्षण विधियाँ : – पिछले पोस्ट में आपने अनुकरण विधि के बारे में जानकारी प्राप्त की थी, इसमें हम Hindi Teaching Methods की ध्वन्यात्मक विधि और श्रुतिलेखन विधि के बारे में विस्तारित जानकारी प्राप्त करेंगे। इन विधियों के गुणों और दोषों दोनों का अच्छे से वर्णन किया गया है ।
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ध्वन्यात्मक विधि Hindi Teaching Methods
- इस विधि के जनक माइकल सैमर है।
- जब छोटे बालकों को समान ध्वनि वाले कुछ शब्द लिखकर दे दिए जाते हैं और फिर उन शब्दों के अनुसार बालकों से नये शब्दों की रचना करवाते हैं तो बालक रुचिकर तरीके से बहुत सारे नए शब्द बना लेता है।
- जैसे कि –
- कल चल बल मल आदि।
- काम धाम नाम जान आदि।
- भक्ति कालीन कवियों की रचनाएं।
- इस विधि का उपयोग अर्थात् ध्वन्यात्मक विधि का उपयोग उस समय भी किया जाता है जब किसी भक्ति कालीन कवि जैसे कबीर, मीरा, रहीम, रसखान, सूरदास, तुलसी आदि की रचनाओं को पढ़ाना होता है।
- क्योंकि इन रचनाओं में भी प्रथम पंक्ति से अंतिम पंक्ति को समान ध्वनि शब्दों से जुड़ा हुआ होता है।
ध्वन्यात्मक विधि के गुण
- यह मनोवैज्ञानिक विधि है।
- इसके द्वारा बालक रुचिकर तरीके से समान ध्वनि वाले बहुत सारे शब्दों की रचना कर पाता है।
- भक्ति कालीन रचनाओं के शिक्षण को रोचक बनाती है।
ध्वन्यात्मक विधि के दोष
- कई बार बालक निरर्थक शब्दों का निर्माण कर लेते हैं।
- समय अधिक खर्च होता है।
श्रुतिलेखन विधि
- भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक सभी बालकों को शुद्ध शब्द लेखन सिखाने का प्रयास करता है ।
- इसके लिए वह पाठ के किसी अंश या 20 कठिन शब्दों का चुनाव करता है ।
- स्वयं उन शब्दों को शुद्ध रूप से उच्चारित करता है एवं बालक सुनने के आधार पर शुद्ध रूप से लिखने का प्रयास करते हैं।
- उसके बाद शिक्षक स्वयं प्रत्येक बालक की उत्तर पुस्तिका की जांच करता है और गलत पाए जाने वाले शब्दों के गोला बनाते हुए स्वयं शुद्ध रूप से लिखता है
- और फिर बालक को 10-10 बाहर शुद्ध लिखने के लिए प्रेरित करता है।
- ऐसा करने से बालक में शुद्ध शब्द लेखन का विकास होता है।
श्रुतिलेखन विधि के गुण Hindi Teaching Methods
- मनोवैज्ञानिक विधि है।
- बालकों में भाषा शुद्धता का विकास होता है।
- बालक के श्रवण कौशल एवं लेखन कौशल में वृद्धि होती है।
श्रुतिलेखन विधि के दोष
- समय अधिक खर्च होता है।
- योग्य शिक्षकों का अभाव पाया जाता है।
FAQ
ANS. माईकल सेमर
ANS. ध्वन्यात्मक विधि
ANS. ध्वन्यात्मक विधि
ANS. श्रवण कौशल और लेखन कौशल
ANS. भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक सभी बालकों को शुद्ध शब्द लेखन सिखाने का प्रयास करता है ।
इसके लिए वह पाठ के किसी अंश या 20 कठिन शब्दों का चुनाव करता है ।
स्वयं उन शब्दों को शुद्ध रूप से उच्चारित करता है एवं बालक सुनने के आधार पर शुद्ध रूप से लिखने का प्रयास करते हैं।
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