अनुकरण विधि | शिक्षण विधियाँ : – इस भाग Anukaran Vidhi ( Teaching Methods ) के बारे में तथा इसके प्रकारों लेखन, उच्चारण और रचना अनुकरण के बारे में भी विस्तारित जानकारी मिलेगी।
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अनुकरण विधि
- जब एक बालक पहली बार भाषा सीखने की शुरुआत करता है।
- वह शिक्षक के कार्यों का अनुकरण ( नक़ल ) करते हुए सीखता है।
- अनुकरण भी तीन प्रकार का होता है।
- लेखन अनुकरण
- उच्चारण अनुकरण
- रचना अनुकरण।
लेखन अनुकरण
- जब एक शिक्षक बालक को लिखना सिखाता है तो उसके लिए वह अपने कार्यों का अनुकरण बालक से करवाता है और अनुकरण करते हुए बालक लिखना सीखता है।
- लेखन अनुकरण भी दो प्रकार का होता है –
- रूपरेखा लेखन अनुकरण
- स्वतंत्र लेखन अनुकरण।
रूपरेखा लेखन अनुकरण
जब एक शिक्षक बालक के सामने किसी वर्ण, शब्द या अंक की रूपरेखा बनाकर दे देता है और वह बालक उस रूपरेखा के आधार पर वास्तविक वर्ण या शब्द की रचना कर लेता है तो उसे रूपरेखा लेखन अनुकरण कहते हैं।
स्वतंत्र लेखन अनुकरण
जब एक शिक्षक कक्षा कक्ष में बालक के सामने किसी वर्णमाला गिनती या शब्दों को एक साथ लिख देता है और कक्षा कक्ष में बैठा बालक स्वतंत्र रूप से उसे देखते हुए लिखने का प्रयास करता है उसे स्वतंत्र लेखन अनुकरण कहते हैं।
उच्चारण अनुकरण
- जब बालक को लिखना आ जाता है तो उसकी अगली आवश्यकता लिखित विषय वस्तु को बोलने या उच्चारित करने की होती है।
- इसके लिए शिक्षक पहले स्वयं उच्चारण करता है और फिर बालक उसके साथ-साथ उच्चारण करने लगता है।
- पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए प्रत्येक विद्यालय में ऐसी अनिवार्यता होती है की अंतिम कालांशो में एक बालक बोलता है और बाकी सभी बालक उसका अनुकरण करते हैं।
- अंग्रेजी भाषा सीखते समय तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि अंग्रेजी में एक ही वर्ण का उच्चारण अन्य स्थान पर बदल जाता है।
- जैसे की –
- CUT में U का उच्चारण अ तथा PUT में U का उच्चारण उ हो जाता है।
- YES में Y का उच्चारण य तथा BIOLOGY में Y का उच्चारण ई हो जाता है ।
रचना अनुकरण Teaching Methods
- जब बालकों को लिखना पढ़ना आ जाता है तो उसके बाद उन्हें विभिन्न प्रकार की रचनाएं करना सिखाया जाता है।
- इसके लिए शिक्षक कोई एक रचना करके बता देता है उसके आधार पर बालक को दूसरी रचना करनी होती है।
- जैसे –
- गाय का निबंध लिखा देने के बाद उसके आधार पर घोड़े का निबंध लिखवाना।
नोट : – रचना अनुकरण अपने आप में एक दोष युक्त अनुकरण है क्योंकि इसके उपयोग से बालकों में मौलिक रचना का विकास नहीं हो सकता।
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