भाषा शिक्षण की महत्त्वपूर्ण विधियाँ | हिंदी शिक्षण विधियाँ : – इस भाग में Important Methods of Language Teaching का विस्तृत वर्णन मिलेगा। यहाँ व्याकरण अनुवाद, रसास्वादन, व्येतिरेकी और भाषा संसर्ग विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है। इसमें इन विधियों के उपनाम भी दिये गए है तथा इनके गुणों और दोषों का भी वर्णन मिलेगा।
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व्याकरण अनुवाद विधि
- अन्य भाषा सिखाते समय एक शिक्षक इस विधि का उपयोग करता है।
- इसमें सबसे पहले वह अन्य भाषा की विषय वस्तु को बालक की मातृभाषा में अनुवादित करता है।
- अनुवाद करते समय अन्य भाषा के व्याकरण का ध्यान रखता है।
- सबसे पहले भारतीय परिवेश में इस विधि का उपयोग दक्षिण भारतीय शिक्षा शास्त्री श्री राम कृष्ण गोपाल भंडारकर ने संस्कृत भाषा को सिखाते समय किया था।
- इसी कारण इन्हीं के नाम पर इस विधि को भंडारकर विधि भी कहते हैं।
- भारत देश में इस विधि का उपयोग फ्रेंच, जर्मन, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी, लेटिन, संस्कृत आदि भाषाओं को सिखाने में किया जाता है।
रसास्वादन विधि
- भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक किसी पद्य भाग या कविता को पढ़ाता है
- तो वह सबसे पहले उस कविता के शब्दों का अर्थ बतलाता है ।
- उसके बाद उसके भावों को स्पष्ट करता है।
- अंत में कविता को कविता के तरीके से गाकर सुनाता है तब सभी बालक भी शिक्षक का अनुकरण करते हैं।
- कविता को गाने लगते हैं जिससे कक्षा कक्ष का वातावरण कवितामय हो जाता है।
- कविता के असली रस की अनुभूति होती है इसलिए इस विधि को रसास्वादन विधि कहते हैं।
- पद्य भाग या कविता पाठ पढ़ाते समय इसका उपयोग सबसे अंत में होने के कारण उपसंहार विधि भी कहते हैं।
व्येतिरेकी विधि
- भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक 2 भाषाओं को एक साथ स्पष्ट करने का प्रयास करता है।
- तो वह उन दोनों भाषाओं को तुलनात्मक रूप से सिखाते समय उनकी समानता और असमानता को स्पष्ट करने का प्रयास करता है।
- जैसे अंग्रेजी भाषा को सिखाते समय जब शिक्षक हिंदी का सहयोग लेता है।
- इन दोनों भाषाओं में पाई जाने वाली NOUN संज्ञा PRONOUN सर्वनाम ADJECTIVE विशेषण VERB क्रिया समान प्रकार से पाए जाते हैं।
- जबकि यहां अंग्रेजी में सहायक क्रियाओं का उपयोग होता है उस प्रकार से हिंदी में नहीं होता है।
- इस प्रकार से बालक को अन्य भाषा सिखाते समय इस विधि का उपयोग होता है।
- व्येतिरेकी विधि में दो भाषाओं का तुलनात्मक रूप से अध्ययन किया जाता है।
भाषा संसर्ग विधि Important Methods of Language Teaching
- भाषा शिक्षण में जब एक बालक को बिना वर्णमाला का ज्ञान करवाएं जब शब्दों का ज्ञान दिया जाता है।
- कम से कम समय में बालक को पुस्तक पढ़ना सिखा दिया जाता है तो यह भाषा संसर्ग विधि होती है।
- सर्वप्रथम 1992 में लोक जुंबिश योजना के माध्यम से भारत देश में भाषा संसर्ग विधि का प्रचलन शुरू हुआ।
- वर्तमान में एक बालक कम से कम समय में पढ़ना लिखना सीख जाता है।
भाषा संसर्ग विधि के गुण Important Methods of Language Teaching
- बालक में शब्द ज्ञान शीघ्रता से पैदा हो जाता है।
- कम समय में पुस्तक पढ़ने लग जाता है।
भाषा संसर्ग विधि के दोष
- इस विधि का उपयोग करने से बालक में वर्णमाला का ज्ञान विकसित नहीं हो पाता है।
- बालक में व्याकरणीय अशुद्धता पैदा हो जाती है।
FAQ Important Methods of Language Teaching
1. भंडारकर विधि किस विधि को कहा जाता है ?
ANS. व्याकरण अनुवाद विधि को
2. रसास्वादन विधि का उपनाम क्या है ?
ANS. उपसंहार विधि
3. दो भाषाओँ का तुलनात्मक रूप से अध्ययन किस विधि में किया जाता है ?
ANS. व्येतिरेकी विधि में
4. किस विधि के द्वारा बालक बिना वर्णमाला के ज्ञान के किताब पढने लग जाता है ?
ANS. भाषा संसर्ग विधि के उपयोग से
5. उपसंहार विधि किसे कहते है ?
ANS. रसास्वादन विधि को ही उपसंहार विधि कहते है।
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