REET 2022 | क्रियात्मक अनुसन्धान व उसके उद्देश्य और सोपान

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REET 2022 | क्रियात्मक अनुसन्धान व उसके उद्देश्य और सोपान : – इस भाग में Kriyaatmak Anusandhaan के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगें, जो की परीक्षा की दृष्टि से एक महत्तवपूर्ण अध्याय है। इसमें क्रियात्मक अनुसंधान के साथ साथ उसके उदेश्य, सोपान और क्षेत्र सभी का वर्णन किया गया है, इन सब का विस्तारित वर्णन आगे के भाग में दिया गया है।


क्रियात्मक अनुसन्धान ( Kriyaatmak Anusandhaan )

  • क्रियात्मक अनुसंधान से अभिप्राय “अकस्मात पैदा हुई किसी समस्या का वैज्ञानिक तरीके से समाधान प्राप्त करना” होता है।
  • बीसवीं सदी के प्रारंभिक दौर में बकिंघम नामक विद्वान में इसकी शब्दावली का उपयोग किया था।
  • दूसरे विश्व युद्ध के समय कोलियर ने इसका उपयोग किया था।
  • 1946 में कुर्त लेविन ने सामाजिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया।
  • 1953 में अमेरिकी विद्वान स्टीफन एम कोरे ने विद्यालय पद्धति सुधार में “क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व” नामक पुस्तक लिखी।
  • इसी से क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित हुआ और शिक्षा में इसके जनक भी स्टीफन एम कोरे कहलाए

विद्यालय से संबंधित समस्याओं के समय क्रियात्मक अनुसंधान वह तरीका होता है जिसमें प्रयोग करता वैज्ञानिक तरीके से समस्या का समाधान प्राप्त करता है

स्टीफन एम कोरे

क्रियात्मक अनुसंधान समस्या समाधान की ऐसी विधि है जिसके द्वारा प्राप्त परिणाम आंशिक या पूर्ण रूप से तथ्यों पर आधारित होते हैं।

मुनरो

विद्यालय में शिक्षक के सामने उपस्थित होने वाली समस्याओं में से कुछ समस्याएं तत्काल समाधान चाहती है तत्काल समाधान चाहने वाली समस्याओं का समाधान प्राप्त करना है क्रियात्मक अनुसंधान है।

मौली

क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य ( Kriyaatmak Anusandhaan )

  • विद्यालय के यांत्रिक वातावरण को बदलकर सामाजिक व्यवहारिक बनाना ।
  • क्षमा उत्पन्न समस्या का कम से कम समय में समाधान खोजना।
  • विद्यार्थियों के व्यवहार से संबंधित सुधार लाना।
  • विद्यालय में प्रयोगात्मक गतिविधियों को बढ़ाना।
  • विद्यालय में सह शैक्षणिक गतिविधियां आयोजित करते हुए समरसता पूर्ण वातावरण बनाना।
  • शिक्षक शिक्षार्थियों के बीच समन्वय स्थापित करना कार्य व्यवहार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाना आदि।

क्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र

  • पाठ्यक्रम के क्षेत्र में।
  • परीक्षाओं के क्षेत्र में।
  • व्यवस्थाओं के क्षेत्र में।
  • बालकों के व्यवहार पलायन वादी व्यवहार एवं आचरणों से संबंधित वातावरण में परिवर्तन के क्षेत्र में।
  • खेलकूद के क्षेत्र में बालकों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में।

लेस्टर एंडरसन के अनुसार क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान

  • इन्होंने कुल 7 सोपान बताए हैं-
    1. समस्या का ज्ञान प्राप्त।
    2. प्रस्तावों पर विचार विमर्श।
    3. कार्य योजना का निर्माण उपकल्पनाएं।
    4. तथ्यों को संग्रहित करना।
    5. कार्यों का क्रियान्वयन।
    6. निष्कर्षों की प्राप्ति ( तथ्यों पर आधारित )।
    7. दूसरों के परिणाम देखना।

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