सैनिक विधि, वाचन विधि और पर्यवेक्षित विधि | शिक्षण विधियाँ : – इसमें Sainik Vidhi Vaachan Vidhi Or Paryavekshit Vidhi के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है। इस भाग में इन विधियों के गुणों और दोषों का भी विस्तृत वर्णन किया गया है। ये हिंदी शिक्षण विधियाँ परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्तवपूर्ण है तथा इनसे सम्बंधित प्रश्न परीक्षा में आते रहते है।
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सैनिक विधि
इस विधि को भाषा सैनिक विधि, श्रव्य भाषा सैनिक विधि तथा श्रव्य भाषा सैनिक विधि के नाम से जाना जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब अमेरिका में सैनिकों की कमी हो गई थी उस समय अमेरिकी सरकार ने कई सैनिकों को सेना में भर्ती कर लिया जो कि अनपढ़ थे बाद में अमेरिका के सैनिक अधिकारियों ने पेज, ब्लूमफील्ड आदि विद्वानों के विचारों के आधार पर एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जिसे ASTP (आर्मी स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम ) नाम दिया गया और 15-20 सैनिकों वाले छोटे-छोटे ग्रुप बनाए गए और उन्हें मौखिक रूप से भाषा को पढ़ना सिखा दिया गया। इस प्रकार से आज भी भाषा शिक्षण में दुनिया के किसी भी देश में जब मौखिक रूप से भाषा का ज्ञान दिया जाता है तो उसे सैनिक विधि कहते हैं।
वाचन विधि
इससे ( वाचन ) से अभिप्राय अर्थ ग्रहण करते हुए पढ़ना होता है। जब एक व्यक्ति या विद्यार्थी किसी लिखित सामग्री को ध्यान पूर्वक पढ़ता है और पढ़ते हुए उसका अर्थ भी ग्रहण करता है तो वह वाचन कहलाता है। कक्षा कक्ष में एक शिक्षक पहले स्वयं वाचन करता है और फिर उसके बाद बालक अपने स्तर पर वाचन करते हुए अर्थ ग्रहण का प्रयास करते हैं।
वाचन व्यक्ति का मित्र होता है इससे वह लंबी यात्रा के समय अथवा बीमारी के समय जब अकेले में होता है तो अपना समय गुजरता है ।
डॉ धरनाथ चतुर्वेदी
वाचन के गुण
- विषय वस्तु स्मरण करने में मदद करता है।
- बालक में स्वाध्याय के गुणों का विकास करता है।
- बालक में अभ्यास एवं अर्थ ग्रहण की क्षमताएं बढ़ती है।
वाचन के दोष
- समय अधिक खर्च होता है।
- पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।
पर्यवेक्षित विधि Sainik Vidhi Vaachan Vidhi Or Paryavekshit Vidhi
इस विधि के जनक जॉन डेजी मारवल है।
जब एक शिक्षक सभी बालकों को स्वाध्याय के लिए बैठा देता है और सभी बालक विषय वस्तु को स्मरण करते हैं तो यह पर्यवेक्षक विधि होती है।
मेज या दराजों के चारों ओर बैठे विद्यार्थी या व्यक्ति जब शिक्षक के नियंत्रण वातावरण में स्वाध्याय करते हैं तो यह पर्यवेक्षक विधि होती है।
बाइनिंग
इस प्रकार से इस विधि के द्वारा एक शिक्षक बालकों को विषय वस्तु का आवश्यक स्वाध्याय करवाते हुए बालकों को स्मरण या याद कराने में मदद करता है।
पर्यवेक्षित विधि के गुण Sainik Vidhi Vaachan Vidhi Or Paryavekshit Vidhi
- मनोवैज्ञानिक विधि है।
- स्वाध्याय के गुणों का विकास करती है।
- विषय वस्तु समरण या याद करने में मदद करती है।
- बालकों में अनुशासन व नियंत्रण बनाए रखती है।
पर्यवेक्षित विधि के दोष
- समय अधिक खर्च होता है।
- प्रतिभाशाली बालकों में नीरसता पैदा होती है।
- कई बार शिक्षक निष्क्रिय हो जाता है।
FAQ
ANS. कक्षा 6 से
ANS. इस विधि के जनक जॉन डेजी मारवल है।
ANS. वाचन व्यक्ति का मित्र होता है इससे वह लंबी यात्रा के समय अथवा बीमारी के समय जब अकेले में होता है तो अपना समय गुजरता है ।
ANS. द्वितीय विश्व युध्द के बाद
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